बहुत सुंदर सूत्रों से सजी आज की चर्चा बनी है मेहनत दिख रही है 'उलूक' खुश है उसके सूत्र 'जरूरी है याद कर लेना कभी कभी रहीम तुलसी या कबीर को भी' की चर्चा भी की गई है । आभार रविकर जी ।
सुप्रभात उम्दा सूत्र संकलन |अपनी पुस्तक पर शास्त्री जी की समीक्षा पढ़ी |उन्होंने जिस शिद्दत से किताब को पढ़ा और अपनी टिप्पणी समीक्षा के रूप में दी अदभुद है |मेरा यह छटा काव्य संकलन है |इस मंच के माध्यम से मैं उन्हें बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहती हूँ |
सबरंग रचनाएँ हैं, शास्त्री जी के वर्तमान पर लिखे गए दोहे -देशभक्त हैं दुखी देश में, लूट रहे मक्कार खजाना.बहुत सत्य प्रतिक्रया है. नेहरू गांधी का कापीराईट -सटीक व्यंग है.शालिनी कौशिक जी की किसानों की दुर्दशा पर लेख , प्रवीण पाण्डेय जी को सामीप्य अनुदान मिलना, और वंदना गुप्ता जी की लेखनी द्वारा भारतीय स्रियों की पीड़ा आदि सभी रचनाये ह्रदयस्पर्शीय हैं, मेरे लेख 'इवेंट मैनेजर को भी आपने इस चर्चा में स्थान दिया है, आभार.
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बहुत सुंदर सूत्रों से सजी आज की चर्चा बनी है मेहनत दिख रही है 'उलूक' खुश है उसके सूत्र 'जरूरी है याद कर लेना कभी कभी रहीम तुलसी या कबीर को भी' की चर्चा भी की गई है । आभार रविकर जी ।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा सूत्र संकलन |अपनी पुस्तक पर शास्त्री जी की समीक्षा पढ़ी |उन्होंने जिस शिद्दत से किताब को पढ़ा और अपनी टिप्पणी समीक्षा के रूप में दी अदभुद है |मेरा यह छटा काव्य संकलन है |इस मंच के माध्यम से मैं उन्हें बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहती हूँ |
बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति .....आभार!
जवाब देंहटाएंसुन्दर संकलन
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति .....आभार!
जवाब देंहटाएंसुन्दर सूत्रों का संकलन है आज की चर्चा ...
जवाब देंहटाएंशुक्रिया मेरी ग़ज़ल को स्थान देने का ...
सबरंग रचनाएँ हैं, शास्त्री जी के वर्तमान पर लिखे गए दोहे -देशभक्त हैं दुखी देश में, लूट रहे मक्कार खजाना.बहुत सत्य प्रतिक्रया है. नेहरू गांधी का कापीराईट -सटीक व्यंग है.शालिनी कौशिक जी की किसानों की दुर्दशा पर लेख , प्रवीण पाण्डेय जी को सामीप्य अनुदान मिलना, और वंदना गुप्ता जी की लेखनी द्वारा भारतीय स्रियों की पीड़ा आदि सभी रचनाये ह्रदयस्पर्शीय हैं, मेरे लेख 'इवेंट मैनेजर को भी आपने इस चर्चा में स्थान दिया है, आभार.
जवाब देंहटाएंसभी लिंक्स बहुत ही उपयोगी हैं। मेरी रचना को चयनित करने के लिए बहुत बहुत आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बहुरंगी चर्चा।
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आभार रविकर जी.