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रविवार, दिसंबर 14, 2014

"धैर्य रख मधुमास भी तो आस पास है" (चर्चा-1827)

मित्रों।
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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धैर्य रख मधुमास भी तो आस पास है 


पुष्प को बगिया में खिलने की आस है
बसंत  भी तो पतझड़  के  आस पास है

बगिया वीरान है बिन तेरेअब सजन
धैर्य रख मधुमास भी तो आस पास है... 
Ocean of Bliss पर Rekha Joshi 
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डेढ़ किलो के भेजे ने .... 

ब्रह्माण्ड को हिला रखा है...!
आपका ब्लॉगपरइंतज़ार 
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छुपम-छुपाई 

तुम्हें याद हैं न वे बचपन के दिन, 
जब हम साथ-साथ खेला करते थे, 
अजीब-अजीब से, तरह-तरह के खेल- 
खासकर छुपम-छुपाई. 
मैं कहीं छिप जाता था 
और तुम आसानी से 
मुझे खोज निकालती थी... 
कविताएँ पर Onkar 
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कुछ निमन्त्रण 

...आज यादों की सुनहरी शाम में, 
मैने संजोये कुछ निमन्त्रण ।। 
प्रवीण पाण्डेय 
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गया से पृथुदक तक 

श्राद्ध और तर्पण के लिए जितना बिहार का गया शहर विख्यात रहा है उतना कोई अन्य शहर नहीं.पितृपक्ष में देश,विदेश के लाखों लोग पिंड दान,तर्पण के लिए गया पहुँचते हैं.लेकिन गया की महत्ता के कारण पृथुदक उपेक्षित ही रहा है... 
देहात पर राजीव कुमार झा 
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शिव की आँखें खुलीं थी उस रात में ! 

रास्ते खोजते भीगते भागते, 

जिसके दर पे  थे  उसने  बचाया  नहीं 

कागज़ों पे लिखे गीत सी ज़िंदगी- 

जाने क्या क्या हुआ उस रात में ?

  * गिरीश बिल्लोरे ”मुकुल”
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जमाने को सिखाने की हिम्मत 

गलती से भी मत कर जाना 

...ये जमाना भी है 
उसी का जमाना 
अपनी कहते 
रहते हैं मूरख 
‘उलूक’ जैसे 
कुछ हमेशा ही 
तू उसके नीम 
कहे पर चाशनी 
लगा कर 
हमेशा मीठा 
बना बना कर... 

उलूक टाइम्स पर सुशील कुमार जोशी 
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तुम्हारे लिए यह जीवन और सारा प्रपंच है 

,,,मिट्टी की सौंधी सी खुशबू 
जो बिखरती फिजां में 
खो जाने को बेताब है 
और ऐसे में तुम्हे याद ना करूँ 
तो जीने के मायने ही नहीं है!!! 
फिर पूछता हूँ .... 
तुम्हारे लिए .... 
यह जीवन और सारा प्रपंच है..... 
सुन रहे हो ना.... 
कहाँ हो तुम....?????
ज़िन्दगीनामा पर Sandip Naik 
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अंत में ठहरे अकेले 

बचपन में  कुछ  मीत मिले
मिल संग बहुत खेले कूदे 
मोटर गाडी फिर रेल चली 
फिर धनुष तीर बंदूक चली 
तब पापा ने भेजा स्कूल
सारी मस्ती चकनाचूर ।।
ये मुसीबत  कौन झॆले ।... 
Naveen Mani Tripathi 
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पवन बहे 

सननन सननन पवन बहे,
घनन घनन घन गर्जन करे ।
हुलस-हुलस कर नाचे मनवा,
महके उपवन सुमन झरे ॥

बहकी कलियां महके फूल,
भंवरे के मन उठता शूल ॥
तितली रानी रंग भरे,
स्वर्णमयी लगती है धूल... 
कविता मंच पर KL SWAMI 
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आखिर क्यों नहीं पढ़ाया मुझे ? 

नहीं पढ़ाया गया उसे 
घर के चूल्हे-चौके में झोंक दिया गया 
उसपर जवानी आई 
किन्तु उसका मानसिक विकास 
रोक दिया गया 
आरम्भ से पढ़ाया गया 
सिर्फ और सिर्फ उसके दायित्व का 
अध्याय ब्याहा गया 
छोटी उम्र में...  
Lekhika 'Pari M Shlok' 
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ग़ज़लगंगा.dg: 

उसने चाहा था ख़ुदा हो जाए 

सबकी नज़रों से जुदा हो जाए.
उसने चाहा था ख़ुदा हो जाए.
चीख उसके निजाम तक पहुंचे
वर्ना गूंगे की सदा हो जाए... 
Blog News पर 
devendra gautam 
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यूट्यूब ऑफलाइन 

अा गया है भारतीयों के लिये 

यूट्यूब के वीडियो डाउनलोड करने के लिये अब तक अलग-अलग एप्‍लीकेशन और प्‍लगइन का सहारा लिया जाता है, वजह यह थी कि यूट्यूब द्वारा वीडियो डाउनलोड करने की सुविधा उपलब्‍ध नहीं करायी गयी थी, लेकिन अब आप ... 
MyBigGuide पर 
Abhimanyu Bhardwaj 
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राष्ट्रीय ग्रन्थ --डा श्याम गुप्त.. 

...निश्चय ही गीता मानव इतिहास का सर्वश्रेष्ठ ग्रन्थ है जो देश, काल व किसी भी कोटि से ऊपर अंतर्राष्ट्रीय व सार्वभौमिक ग्रन्थ है, परन्तु वह भारत एवं भारतीय सभ्यता-संस्कृति की उपज है, धरोहर है | वह क्यों नहीं राष्ट्रीय ग्रन्थ हो सकता, ताकि वर्तमान पीढी ( जो विदेशी चकाचौंध में स्वयं के गौरव को भूल चुकी है) व आने वाली पीढी स्वयं पर गौरव कर सके |
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चन्द माहिया :क़िस्त 11 

;1: 
उल्फ़त की राहों से 
कौन नहीं गुज़रा 
मासूम गुनाहों से 
:2: 
आँसू न कहो इसको 
एक हिकायत है 
चुपके से पढ़ो इसको... 
आपका ब्लॉगपरआनन्द पाठक
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7 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर सूत्रों से सजी सुंदर चर्चा,आ. शास्त्री जी.
    'देहात' से मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर चर्चा । आभार 'उलूक' के सूत्र 'जमाने को सिखाने की हिम्मत गलती से भी मत कर जाना' को आज की चर्चा में शामिल करने के लिये ।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर चर्चा ,meri पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार आ. शास्त्री जी.

    जवाब देंहटाएं
  5. मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार

    जवाब देंहटाएं

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