आज बस इतना ही…2 दिसंबर, 2014
तन्हाई से निकल तो नज़र आएगी दुनिया। वरना अकेला मेले में कर जाएगी दुनिया।... रमेश तैलग -- |
kunwarji's
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पी.सी.गोदियाल "परचेत"
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नुक्कड़
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श्यामल सुमन
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विशाल चर्चित
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vijay kumar sappatti
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डॉ. जेन्नी शबनम
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Naveen Mani Tripathi
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बदल गए हम कितने
बदला नहीं इक अहला एहसास
ताउम्र समंदर पास बैठा रहा
मगर बुझी न 'श्लोक' की प्यास...
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मधु सिंह : इश्क मेरा रूहानी है
इश्क मेरा रूहानी है राहे- ख़ुदा कहानी है बन बैठा मैं रब का बंदा रब ही मेरी कहानी है... बेनक़ाब |
दयार -ए -दिल की रात में
दयार -ए -दिल की रात में, चराग़ सा जला गया
मिला नहीं तो क्या हुआ , वह शक्ल तो दिखा गया
जुदाइयों के ज़ख्म, दर्द-ए -ज़िंदगी ने भर दिए
तुम्हे भी नींद गयी , हमें भी सब्र आ गया...
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अज़ीज़ जौनपुरी :
तेरी खुशबू तेरा हुश्ने ज़माल रखता हूँ ज़िगर में अपने जब्ते- नाल रखता हूँ तेरी खुशबू तेरा हुश्ने जमाल रखता हूँ तेरी दोशीजगी हमें जीने नहीं देती और मैं हूँ के जीने का मज़ाल रखता हूँ... |
मील के पत्थर कभी इस रह-गुज़र के देखना ...
लोग मिल जाएंगे फिर मेरे शहर के देखना दूर तक तन्हा मिलेगी रेत रेगिस्तान की फल मगर मीठे मिलेंगे इस शजर के देखना... स्वप्न मेरे...........परDigamber Naswa |
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा सूत्र और संयोजन |
बढ़िया चर्चा हेतु आभार शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार शास्त्री जी। आज बहुत दिनों के बाद ब्लॉग पर आना हुआ था और आपने इतना ज्यादा सम्मान दे दिया। मैंने तो सोचा भी नहीं था ऐसा।इतने सुन्दर लिंक्स के मध्य खुद को पाकर दिल भर सा रहा हैं।
जवाब देंहटाएंअब सम्भव हो कि आपकी दी हुई ऑक्सीजन से ब्लॉग अब जीवित रहे।
बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति में मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु बहुत आभार!
जवाब देंहटाएंkyaa baat hai ji !! aaj to sipon - sipon-rama - rama ne kamaal kar diya !! aabhaar sahit dhanywaad ji !!
जवाब देंहटाएंसभी चर्च सूत्र लाजवाब ...
जवाब देंहटाएंशुक्रिया मेरी ग़ज़ल को स्थान देने का ...
बढ़िया चर्चा
जवाब देंहटाएंआभार शास्त्री जी एवं रविकर भाई!!
जवाब देंहटाएंखुबसूरत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंकों के साथ सार्थक चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीय रविकर जी।