मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के निम्न लिंक।
--
--
--
फ़रेब .....
हर किसी को यहाँ मिलते हैं
झूठे प्यार जिन्दगी के
कुछ धोखे हैं
कुछ मतलब हैं यहाँ
सच्चे प्यार कहाँ मिलते हैं...
आपका ब्लॉग पर इंतज़ार
--
--
--
--
१. मत छेड़ना इस राख को . .
इसमें दबे ज़ज्बात हैं . .
ज़ज्बात जाग गए गर तो ,
आग फिर लग जाएगी ।
२. उसके ख्यालों के क़र्ज़ मे दबे जाते हैं रोज़ाना,
मोहब्बत! पूरे ब्याज़ के साथ उधार लेता है ।
मेरी धड़कन सिर्फ अब मेरी न रही
मोहब्बत! मिलकियत पर फ़क़त हिस्सेदार देता है...
कुमार शिवा "कुश"
--
मेरे सुपुत्र कुमार शिवा "कुश" की रचना
नहाकर नज्म निकली है, बालकोनी में आज अपनी ।
मेरी कलम को मिली वज्म , बालकोनी में आज अपनी..
"लिंक-लिक्खाड़" पर रविकर
--
--
--
--
--
--
--
479. एक सांता आ जाता...
मन चाहता
भूले भटके
मेरे लिए
दोनों हाथों में तोहफ़े लिए
काश !
आज मेरे घर
एक सांता
आ जाता...
डॉ. जेन्नी शबनम
--
ये दौरे-दहशत...
न दिल रहेगा, न जां रहेगी
रहेगी तो दास्तां रहेगी
है वक़्त अब भी निबाह कर लें
तो ज़िंदगी मेह्रबां रहेगी ...
साझा आसमानपरSuresh Swapnil
--
" हम किसी के प्रिय नहीं ,
तो क्या ,
इसलिए हम सबके विरोधी हैं "??
पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)
--
--
--
--
--
--
"नयासाल-एक दोहा और गीत"
आयेगा इस वर्ष भी, नया-नवेला साल।
आशाएँ फिर से जगीं, सुधरेंगे अब हाल।।
--
नव-वर्ष खड़ा द्वारे-द्वारे!
नव-वर्ष खड़ा द्वारे-द्वारे!
गधे चबाते हैं काजू,
महँगाई खाते बेचारे!!...
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा कमेंट्स पर्याप्त पढ़ने के लिए |बाबा आमटे को नमन |
मेरी रचना शामिल करने के इए आभार सर |
शास्त्री जी, आपको भी नववर्ष की अग्रिम शुभकामनाए... मेरी रचना शामिल करने के लए बहुत-बहुत धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंकार्टून को भी चर्चा में सम्मिलित करने के लिए विनम्र आभार जी
जवाब देंहटाएंसुंदर शनिवारीय चर्चा । 'उलूक' के सूत्र 'मैरी क्रिसमस टू यू' को जगह देने के लिये आभार ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति में मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा -
जवाब देंहटाएंआभार आपका -
आद. मयंक जी मेरी रचना ''नवगीत (10) : फिर गये जब घूर के दिन ॥ '' को शामिल करने का धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंबहुत -बहुत आभार और तहे दिल से धन्यवाद मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए!
जवाब देंहटाएं