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बुधवार, दिसंबर 24, 2014

किसी गरीब की किस्मत से निवालों जैसे ...; चर्चा मंच 1837



SANDEEP PANWAR 


GYanesh Kumar 


राजीव कुमार झा 

रूपचन्द्र शास्त्री मयंक 

बैठ मजे से मेरी छत पर,
दाना-दुनका खाती हो!

उछल-कूद करती रहती हो,
सबके मन को भाती हो!!


ममता त्रिपाठी 

सुशील कुमार जोशी 
अल्पना वर्मा
udaya veer singh 
Kajal Kumar 

8 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात
    उम्दा लिंक्स|
    कार्टून मजेदार |

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर चर्चा रविकर जी।
    --
    हृदय से आभार आपका।

    जवाब देंहटाएं
  3. खूबसूरत चर्चा । आभार 'उलूक' का सूत्र 'चाय की तलब और गलत समय का गलत खयाल' को जगह देने के लिये रविकर जी ।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत बढ़िया लिंक्स-सह-चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं
  5. लगभग सभी लिंक्स देखली . रचनाएँ अच्छी हैं . मेरी कहानी को शामिल करने के लिए धन्यवाद .

    जवाब देंहटाएं
  6. सुन्दर सूत्र ..
    आभार मेरी ग़ज़ल को जगह देने का ...

    जवाब देंहटाएं

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