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बुधवार, दिसंबर 31, 2014

कलाकार, गृह-स्वामिनी, मान चाहते सर्व: चर्चा मंच 1844



रविकर 
"कुछ कहना है" 
चढ़े सफलता शीश पे, करे साधु भी गर्व। कलाकार, गृह-स्वामिनी, मान चाहते सर्व। 
मान चाहते सर्व, नहीं अपमान सह सके । कलाकार तब मौन, साधु से गुस्सा टपके । 
सबका अपना ढंग, किन्तु गृहिणी का खलता। रो लेती चुपचाप, कहाँ कब चढ़े सफलता। 

देवेन्द्र पाण्डेय 
एक तमाशा मेरे आगे 
गगन शर्मा, कुछ अलग सा 


8 टिप्‍पणियां:

  1. चर्चामंच परिवार के समस्त सदस्यों को नववर्ष पर हार्दिक शुभकामनाएं

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  2. सुप्रभात
    नव वर्ष के लिए शुभ कामनाएं समस्त चर्चा मंच परिवार के सदस्यों को |
    मेरी रचना शामिल की धन्यवाद सर |

    जवाब देंहटाएं
  3. पठनीय लिंकों के साथ सार्थक चर्चा।
    आपका आभार रविकर जी।

    जवाब देंहटाएं
  4. इस वर्ष की सुन्दर व सार्थक अंतिम चर्चा हेतु प्रस्तुति आभार!
    चर्चा प्रस्तुति के सभी चर्चाकारों को नए साल की हार्दिक मंगलकामनाएं!

    जवाब देंहटाएं
  5. सार्थक प्रस्तुति .नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें .

    जवाब देंहटाएं
  6. चर्चामंच परिवार के समस्त सदस्यों को नववर्ष पर हार्दिक शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  7. 2014 की अंतिम सुंदर चर्चा में 'उलूक' के सूत्र 'पी के जा रहा है और पी के देख के आ रहा है' को जगह देने के लिये आभार रविकर जी ।

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