फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

सोमवार, दिसंबर 22, 2014

"कौन सी दस्तक" (चर्चा-1835)

मित्रों।
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक!
--

कौन सी दस्तक 

यूं ही कभी पर राजीव कुमार झा 

बरस की बारहखड़ी बरस का ककहरा 

...यू टर्न, यू.पी, यादव सिंह, यश चोपड़ा, यू आर अनंतमूर्ति, येल यूनिवर्सिटी, यरवदा जेल  
रामपाल, राहुल, रंजीत सिन्हा, राजदीप, राजनाथ, रामजादे, रघुराम राजन, रोहित शर्मा, रेडियो   
लव जेहाद, लहर, लालू प्रसाद, लाउडस्पीक,एल.जी. 
विपक्ष विहीन, वेद प्रताप वैदिक, वीसा, वाड्रा, विक्टोरिया बग्घी... 
कुमाउँनी चेली पर शेफाली पाण्डे 
--
--

यायावरी 

Sunehra Ehsaas पर 
Nivedita Dinkar
--
--

Deewan 43 Ghazal 

Junbishen पर Munkir
--

शीर्षकहीन गल़तफहमी

मजनू का टीला,  
ये मजनू वो मजनू नहीं है 
कुछ अलग सा पर गगन शर्मा 
--

ज़िंदगी यूं ही चलती है 

 ...कैलेंडर के पन्ने बदलते हैं 
राहों के सुर बदलते हैं 
कोई कहानी बनती है 
कोई कहानी बिगड़ती है 
जिंदगी यूं ही चलती है... 
Yashwant Yash 
--

ये समय की मौत नहीं तो क्या है ? 

... घूँट भरने को नहीं बची संवेदना 
जंगल और जंगली जानवरों का 
भीषण हाहाकारी शोर नहीं फोड़ेगा 
तुम्हारे कान के परदे 
इस समय के असमय होने के साक्षी हो 
विकल्प की तलाश में भटकते हुए 
अब क्या नाम दोगे इसे तुम ?... 
vandana gupta 
--
--
--

रविवार का दिन 

कुछ लोगों के लिए छुट्टी मनाने का और बहुतों के लिए हमेशा की तरह ... काम करने का दिन . रविवार कुछ लोग सुबह उठते हैं देर से आराम के साथ , वहीं अलसुबह मोहल्ले की चाय दुकान में चूल्हा सुलगाने पहुँच जाते हैं मंगलू और उसका दस साल का बेटा , सुबह चार बजे से नुक्कड़ पर रिक्शा लेकर खड़ा रहता है दरसराम सवारियों के इंतज़ार में... 
मेरे दिल की बात पर Swarajya karun 
--

पापा टेक केयर 

[लघु कथा ] 

एक बुज़ुर्ग दम्पति से मै हाल ही में मिली ,बेटा बाहर विदेश में और बेटियां अपने अपने ससुराल में ,अपनी जिंदगी के इस आखिरी पड़ाव में भावनात्मक रूप से आहत ,असुरक्षित बुजुर्ग दम्पति रात दिन अपने बेटे के आने का इंतज़ार कर रहे थे... 
Ocean of Bliss पर 
Rekha Joshi
--
--
--
--

नेह का गीत जब भी लिखा 

एक संवेदना , फिर गयी चेतना। 
मन की मधुरिम कली खो गयी।। 
नेह का गीत जब भी लिखा । 
वो सिसकती गली रो गयी... 
Naveen Mani Tripathi
--
...नहीं होगा कोई पश्चाताप

क्यों कि नहीं खोया कुछ भी 

मैंने बाज़ी हार कर।

क्या हानि है लगाने पर बाज़ी

एक बार अपनी आस्था पर

तुम्हारे अस्तित्व के होने पर?

--
ये प्रेमिकाएं बड़ी विकट  होती हैं
बिल्कुल  डाक टिकट होती हैं
क्योंकि जब ये सन्निकट होती हैं
तो आदमी की नीयत में थोडा सा इजाफा हो जाता है !
मगर जब ये चिपक जाती हैं तो
आदमी बिलकुल लिफाफा हो जाता है... 
--

“गीत-सिमट रही खेती सारी” 

सब्जी, चावल और गेँहू की, सिमट रही खेती सारी। 
शस्यश्यामला धरती पर, उग रहे भवन भारी-भारी।। 

बाग आम के-पेड़ नीम के आँगन से  कटते जाते हैं, 
जीवन देने वाले वन भी, दिन-प्रतिदिन घटते जाते है, 
लगी फूलने आज वतन में, अस्त्र-शस्त्र की फुलवारी। 
शस्यश्यामला धरती पर, उग रहे भवन भारी-भारी।।... 
उच्चारण पर रूपचन्द्र शास्त्री मयंक 

11 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात
    क्या बात है आज समसामयिक सूत्रों और अन्य सूत्रों का मिश्रण बहुत सुन्दर है |
    मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सर |

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर सूत्र सुंदर संयोजन सुंदर चर्चा ।

    जवाब देंहटाएं
  3. शास्त्री जी, मेरी इस ब्लॉग पोस्ट मे मैने आपके ब्लॉग पर से कुछ पंक्तिया ली है जिसका उल्लेख मैने मेरी रचना मे किया है . अवश्य पढ़िएगा. मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सर |

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर सूत्र संयोजन एवं चर्चा,आ. शास्त्री जी.
    'यूँ ही कभी' से मेरे पोस्ट को शामिल कर शीर्षक पोस्ट बनाने के लिए आभार.

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुन्दर और विस्तृत सूत्र...रोचक चर्चा...आभार

    जवाब देंहटाएं
  7. धन्यवाद ! मयंक जी ! मेरी रचना ''नवगीत (7) : सब चुप ! फिर मैं भी क्यों बोलूँ ? '' को शामिल करने हेतु !

    जवाब देंहटाएं
  8. अतिसुन्दर लिँक संयोजन,
    शास्त्री जी, कुछ दिन पहले मेरे ब्लॉग पर एक पाठक ने टिप्पणी कि कोई ऐसा ब्लॉग हो तो बताये जो केवल फोटोग्रोफी पर ही लेख लिखते हैँ। मुझे तो नहीँ मिला आपको पता हो तो जरूर बताये गा ।
    आपका आभारी ।

    जवाब देंहटाएं
  9. सुंदर सूत्र संयोजन ,मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार आ. शास्त्री जी.

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत बहुत धन्यवाद , मुझे इस मंच पर जगह देने के लिए आदरणीय शास्त्री जी !!

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।