मित्रों।
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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एक गीत
मौसम सूफ़ी गाएगा
आप न समझें नये साल में
मौसम सूफ़ी गाएगा |
पिछला दशक धुंध में बीता
यह भी कोहरा लाएगा...
जयकृष्ण राय तुषार
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समय तुम अपंग हो गए हो
आज हैवानियत के अट्टहास पर
इंसानियत किसी बेवा के
सफ़ेद लिबास सी नज़रबंद हो गयी है
ये तुम्हारे वक्त की सबसे बड़ी तौहीन है
कि तुम नंगे हाथों
अपनों की कब्र खोद रहे हो...
vandana gupta
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विश्व की पहली ''आत्मकथा''
जिसे एक 'क्रान्तिकारी' ने
फाँसी से पहले पूरा किया था!
धरती की गोद पर
Sanjay Kumar Garg
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इन्द्रधनुष कार्यक्रम में
मुख्यमंत्री को भेंट की गई
बाल भवन, जबलपुर के बच्चों की पेंटिंग
शक्तिरूपा
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Roshi: जख्म माँ के ..
गहरी निद्रा के आगोश में सोये
मासूम नौनिहालों को डांट-डपटकर
झटपट माँ ने किया होगा तैयार ,
लंच -बॉक्स को वक्त पर खाने की
नसीहतें भी दी होंगी...
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वाणी
...बोल मधुर वाणी पर संयम तभी सफल |
शब्द चयन कितना आवश्यक सब जानते |
अर्थ अनर्थ शब्दों का होता खेल रखें संयम
Akanksha पर
akanksha-asha.blog spot.com
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लोई ल काबर टोरे रे बइरी,
नार ल पुदक देते...
आतंकी नेतिस सैनिक स्कूल
चारीचुगली पर जयंत साहू
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भाग्यशाली और बदनसीब
भाग्यशाली है वो कुत्ते
जिन का लालन पालन
बड़ी बड़ी कोठियों में
किसी राजकुमार की तरह हो रहा है
निछावर है जिनपर
शहर की सुंदरियों का सकल प्रेम...
मन का मंथन।पर kuldeep thakur
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आतंकी नाच
फिज़ां में खौफ दस्तक
आतंक की मासूम मौतें !
आतंकी खेल
सहमे से चेहरे खूनी दरिंदे !
खूनी संगीनें खौफनाक मंज़र
रोते माँ बाप !
बच्चों की लाशें बिलखते माँ बाप
खामोश खुदा...
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चीखती भोर
१
चीखती भोर
दर्दनाक मंजर
भीगे हैं कोर
२
तांडव कृत्य
मरती संवेदना
बर्बर नृत्य...
चीखती भोर
दर्दनाक मंजर
भीगे हैं कोर
२
तांडव कृत्य
मरती संवेदना
बर्बर नृत्य...
सपने पर shashi purwar
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बच्चों का कोई देश नहीं होता
(अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह)
बच्चों का कोई देश नहीं होता
इसे मैंने पहली बार
अपने वतन से दूर रहकर महसूस किया
बच्चों का कोई देश नहीं होता
जिस तरह वे संभालते हैं अपना सिर
वह होता है एक जैसा...
कर्मनाशा पर siddheshwar singh
उसके आते ही
सबको इतनी
शरम आई
कि सबने
छोड़ दी
सिगरेट दारू
गुटखा सुरती...
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कोलकाता की रात और टैक्सी ड्राइवर
...बाबू! प्रीपेड टैक्सी क्यों नहीं ले लेते? उसने काउंटर की तरफ इशारा किया और मैं चल पड़ा. 310 रुपये की परची ली और टैक्सियों की कतार के पास आकर खड़ा हो गया. एक टैक्सी आकर मेरे पास रुकी. मैं चुपचाप बैठ गया. कुछ मिनट बाद मैंने टैक्सी ड्राइवर को गौर से देखा. यह वही शख्स था जिसने मुङो प्रीपेड टैक्सी लेने की बिन मांगी सलाह दी थी. आज के जमाने में भी ऐसे मददगार हैं! मैं समझ नहीं पा रहा था कि आखिर इस टैक्सी ड्राइवर से क्या बोलूं...
अ-शब्द
...बाबू! प्रीपेड टैक्सी क्यों नहीं ले लेते? उसने काउंटर की तरफ इशारा किया और मैं चल पड़ा. 310 रुपये की परची ली और टैक्सियों की कतार के पास आकर खड़ा हो गया. एक टैक्सी आकर मेरे पास रुकी. मैं चुपचाप बैठ गया. कुछ मिनट बाद मैंने टैक्सी ड्राइवर को गौर से देखा. यह वही शख्स था जिसने मुङो प्रीपेड टैक्सी लेने की बिन मांगी सलाह दी थी. आज के जमाने में भी ऐसे मददगार हैं! मैं समझ नहीं पा रहा था कि आखिर इस टैक्सी ड्राइवर से क्या बोलूं...
अ-शब्द
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माइक्रोसॉफ्ट बैंड एक नयी तकनीक
जो दुनिया बदल देगी।
दोस्तों माइक्रोसॉफ्ट ने एक ऐसा हाथ में पहनने वाला बैंड बनाया है, जिससे आने वाले समय में दुनिया बदलाव देखा जा सकेगा। दोस्तों यह बैंड ना ही आपके काम में आपकी मदद करेगा बल्कि इस बैंड के द्वारा आप अपनी फिटनेस का ध्यान रख सकते है। दोस्तों यह बैंड हाथ में पहना जाता है, जिसे आप अपने स्मार्टफोन से ब्लूटूथ, वाई-फाई आदि के जरिये कनेक्ट कर लेते है। माइक्रोसॉफ्ट ने इस बैंड के लिए जरूरी एंड्राइड, विण्डो, आईफोन आदि के एप्स अपनी अधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध करावाया है, जो की इस बैंड को संचालित करता है। दोस्तों इस बैंड के द्वारा आप कोई फोन-काल कर और सुन सकते है, इसके इलावा आप ईमेल आदि भेज सकते है...
takniki gyan पर नवज्योत कुमार
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क्या हुआ कोशिश अगर ज़ाया गई
दोस्ती हमको निभानी आ गई |
बाँधकर रखता भला कैसे उसे
आज पिंजर तोड़कर चिड़िया गई...
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"दोहे-
बापू जी के देश में बढ़ने लगे दलाल"
बापू जी के देश में, बढ़ने लगे दलाल।
कब तक बीनेंगे इसे, पूरी काली दाल।।...
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंसमसामयिक सूत्रों की मिलीजुली सरकार है भाई |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
सुंदर चर्चा । बर्फबारी से सब अस्त व्यस्त हो गया है । आभार सूत्र 'उलूक' का भी शामिल करने के लिये ।
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा...
जवाब देंहटाएंस्थान दिया आभार।
बढ़िया चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार!
खूबसूरत चर्चा ..........आभार
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सार्थक प्रस्तुति ! मेरी पोस्ट को सम्मिलित करने के लिये आपका बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा
जवाब देंहटाएंhardik dhanyavad shashtri ji , sundar charcha , abhaar hamen charcha me shamil karne hetu , abhar
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा ,मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार शास्त्री जी
जवाब देंहटाएंमुङो शामिल करने के लिए शुक्रिया
जवाब देंहटाएंआदरणीय मयंक जी,
जवाब देंहटाएंआपकी ब्लॉग पत्रिका के माध्यम से अपनी बात सार्वजनिक रूप से तुषार जी को पहुँचाकर अपने लिए 'छान्दसिक अनुगायन' ब्लॉग पर द्वार खुला रखने की सिफारिश करवा रहा हूँ। कृपया मदद अवश्य करें।
आदरणीय तुषार जी,
प्रतिक्रिया की इसका अर्थ यह कतई नहीं कि आपको नीचा दिखाना उद्देश्य था।
'ब्लॉग मंच' एक अपने-अपने विचारों को रखने का भी माध्यम है।
हर ब्लॉगर ऐसा तो नहीं होता कि वह सीधे-सीधे वाह-वाही करे।
कभी-कभी प्रशंसा के तरीके अलग भी होते हैं। जैसे -
- कभी कोई आपकी रचना को सुनकर या पढ़कर कह सकता है, "मुझे नहीं लगता यह आपकी रचना है। "
- कभी कोई उस रचना के मुक़ाबिल अपनी रचना प्रस्तुत कर दे।
- कभी कोई उस रचना की श्रेष्ठता के अनुसार अपनी टिप्पणी को भी बनाने का प्रयास करे।
एक व्यक्ति होता तो बहुत कुछ है, पर एक बार में एक धर्म निभाता है :
- राह में राहगीर
- दुकान पर ग्राहक या व्यापारी
- घर में पुत्र, भाई, पति, पिता
- समाज में पड़ौसी, नागरिक आदि
- विद्यालय में शिक्षक आदि की कोटियों का
आपके ब्लॉग पर आकर सीधे-सीधे आपकी रचना की तारीफ़ नहीं की। इसका मुझे अफ़सोस है।
लेकिन आपकी रचना इतनी दमदार है कि उसे घंटे भर पढ़कर उसपर विरोधी प्रतिक्रिया देकर आपसे संवाद करना चाहा।
क्षमा चाहता हूँ अपनी तमीज़ से आपकी अधिवक्तायी कमीज़ को खराब करने के लिए।
खूबसूरत चर्चा .
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