पेशावर के छात्र-गण, होते आज निहाल ।
तालिबान चच्चा करे, क्योंकि उन्हें हलाल । क्योंकि उन्हें हलाल, बुजुर्गों ने बोया है । धत तेरे की पाक, आज तू सब खोया है । तालिबान धिक्कार, मिले धिक्कार हमेशा । दे भविष्य को मार, चुना यह बढ़िया पेशा ॥ -------रविकर |
आते रहेंगे
नये दिन
नये साल
वक्त गुजरेगा
चक्र चलेगा
जन्म पर
मनाई जाएँगी
खुशियाँ
और मत्यु पर
होंगे मलाल
जिन्दगी पर
भारी होगा काल...
उच्चारण
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और
नीचता की सारी हद पार कर जाता है
जिसे वो पुरुषार्थ कहता है
और स्वार्थ में अन्धा हो जाता है
असल में वो उसकी कायरता का
सबसे बड़ा नमूना है...
--छपाना एक एक हिन्दी पुस्तक का.... [क़िस्त 1] व्यंग्य
आनन्द पाठक
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उम्र भर रुत सुहानी रही है प्रिये आसमानी दुपट्टा झुकी सी नज़र इस मिलन की कहानी यही है प्रिये..
Digamber Naswa
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Anita
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पूरब में उस दौर से छाई, एक साँवली शाम...
अरुण कुमार निगम
(mitanigoth2.blogspot.com) |
नारी को जो कमजोर समझे, वो गलत है
नारी पुरुष जैसा है, ए बात भी गलत है...
कालीपद "प्रसाद"
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देखना नहीं चाहता कालिख को
बीते पलों की कुछ बातें
कुछ यादें बन कर दबी रह जाती हैं
कहीं किसी कोने में वक़्त-बेवक्त आ जातीं हैं
अपनी कब्र से बाहर देने लगती हैं
सबूत खुद की चलती साँसों का.....
Yashwant Yash
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जहाँ शैतान की औलाद बसती हों,वो जगह पाक हो ही नही सकती
सुनते आ रहा हूं पता नही कब से के बच्चे भगवान का स्वरुप होते हैं,पता नही उनसे क्या खतरा था कि किसी को जो उनपर गोलियां चलानी पड गई?दुनिया का कौन सा धर्म,कौन सा पंथ,कौन सा संप्रदाय इस बात की अनुमति देता है,समझ से परे है.फूल जैसे बच्चों पर जो गोलियां बरसा सकता हो वो इंसानियत का दुश्मन ही हो सकता है...
Anil Pusadkar
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सार्थक चिंतन-सह चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंमनोरंजक और हितकारी चर्चा
जवाब देंहटाएंसार्थक और सुन्दर लिंक्स...रोचक चर्चा के लिए आभार...
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स |
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद सर!
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत दिनों बाद चर्चा मंच पर आना हुआ. बहुत अच्छा लगा.
जवाब देंहटाएंहिंदी मोटीवेशनल वेबसाइट
आभार शास्त्री जी,अच्छी चर्चा.
जवाब देंहटाएंअच्छे सूत्र आज की चर्चा में ..
जवाब देंहटाएंआभार मेरी ग़ज़ल को स्थान देने का ...
सार्थक व सुंदर लिंक्स...मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार..
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