नमस्कार मित्रों, आज की चर्चा में आप सब का हार्दिक अभिनन्दन है। प्रस्तुत है आज के कुछ चुनिंदा लिंको की चर्चा।
"जिस मनुष्य का पुत्र आज्ञाकारी, विद्वान, पुरषार्थी और सदाचारी हो, पत्नी शीलवती और पति की इच्छा के अनुसार चलने वाली हो, जिसके पास आवश्यकता के अनुसार धन सम्पदा हो और जो सन्तोषी स्वभाव वाला हो वह इसी दुनियां में स्वर्ग में रह रहा है। यह बात तो हुई पुरुष के बारे में लेकिन स्त्री के लिए, पति का भरपूर प्यार और आत्मीय व्यवहार मिलना ही उसे स्वर्ग का सुख उपलब्ध कर देता है।"
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
~~~~~~~~~~~~~~~~~ ~
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
उखाड़ दो इनकी जड़ें..
नहीं तो डाल दो हथियार
Lekhika 'Pari M Shlok'
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
एशियाई हुस्न की तस्वीर है मेरी ग़ज़ल।
मशरिकी फ़न में नई तामीर है मेरी ग़ज़ल
Randhir Singh Suman
~~~~~~~~~~~~~~~~~~"दस दोहे-हो आपस में मेल"
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
कुहरे ने सूरज ढका, थर-थर काँपे देह।
कहीं बर्फबारी हुई, कहीं बरसता मेह।१।
--
कल तक छोटे वस्त्र थे, फैशन की थी होड़।
लेकिन सर्दी में सभी, रहे शाल को ओढ़।२।...
दर्द उस सुहागिन का
चूड़ियाँ समझती हैं
रुख हवाओं का केवल आंधियाँ समझती हैं
रौशनी की कीमत को बिजलियाँ समझती हैं...
गुज़ारिश पर सरिता भाटिया
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
इस देश में धर्म के नाम पर अब अगर कोई बडा फसाद होगा तो निश्चित ही उसके लिये इलेक्ट्रानिक मीडिया पर होने वाली स्तरहीन कूडा बहस ही ज़िम्मेदार होगी.तब वो इस पाप से बच नही पायेगा.धर्म के नाम पर जितना विवाद किसी मूर्ख के बयान से नही होता उससे कई हज़ार गुना उस ज़हर ये महामूर्ख बहस करके फैला देते हैं...
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
लोहा खा गया घुन।
My Superheroes
Chaitanya Sharma -
~~~~~~~~~~~~~~~~~~जितनी स्कूल कॉलेज की
औपचारिक शिक्षा आवश्यक होती है ,
उतनी ही अनौपचारिक शिक्षा भी
आवश्यक होती है ---
~~~~~~~~~~~~~~~~~~हमसाया...
तेरी नजरों में अपने ख्वाब समा मैं यूँ खुश हूँ
बर्फ के सीने में फ़ना हो ज्यूँ ओस चमकती है.
अब बस तू है, तेरी नजर है, तेरा ही नजरिया
मैं चांदनी हूँ जो चाँद की बाँहों में दमकती है....
अपना परिचय ठीक से नहीं करा पाता
VMW Team पर
VMWTeam Bharat
~~~~~~~~~~~~~~~~~~ये खामोश रातें....
ये खामोश रातें
और तुम्हारी यादें
कितनी समानता है इनमें
न तुम कुछ बोल रहे हो
न ये रातें
बस शान्त …
~~~~~~~~~~~~~~~~~~हवाई जहाज उड़ाने का NOC
अपराधी को !
कराह रहा है-----
अपनी ही पौध पर
मुस्कुराहटों की घाटियों में---
सरहदों की बाडें कटीली
उम्मीदों की चोटियों पर---
बरसती हैं---गो्लियां...
शीर्षकहीन
अभी कुछ देरपहले मुझे आवाज़ आयी माँ ,
मैं यहाँ खुश हूँ सब बैखोफ घूमते हैं
कोई रोटी के लिये नहीं लड़ता
धर्म के लिये नहीं लड़ता
देश के लिये, उसकी सीमाओं के लिये
नहीं लड़ता...
~~~~~~~~~~~~~~~~~~खबर (लघुकथा)
साँझ ढलने के साथ-साथ उसकी चिड़चिड़ाहट बढ़ती जा रही थी, मनसुख को लगा कि - दिन भर की भूखी-प्यासी है और ऊपर से थकी-माँदी… इसीलिए गुस्सा आ रहा होगा, ये करवाचौथ का व्रत होता भी तो बहुत कठिन है। राजपूताना रेजीमेंट में ड्राइवर की नौकरी पर तैनात मनसुख आज ड्यूटी ख़त्म होते ही सीधा घर को भागा आया...
दीपक मशाल
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
हैवानियत के अट्टहास पर
इंसानियत किसी बेवा के
लिबास सी लग रही है
वो मेरा कोई नहीं था
वो पडोसी मुल्क का था
मैं उसे नहीं जानती
मैंने उसे कभी नहीं देखा
फिर भी मेरा उसका कोई रिश्ता था...
vandana gupta
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
उदास इरेज़र
Pratibha Katiyar
~~~~~~~~~~~~~~~~~~नहीं व्यथित हूं !!!
मनोज कुमार श्रीवास्तव
~~~~~~~~~~~~~~~~~~आदि ग्रंथों की ओर -
दो शापों की टकराहट
आँखों आँखों में महसूसो
कैसे कह दूँ प्यार नहीं है
बंधन भी स्वीकार नहीं है
दिल में तेरी यादें हरदम
मन पर ही अधिकार नहीं है...
~~~~~~~~~~~~~~~~~~एक देशगान -
कितना सुन्दर ,
कितना प्यारा,
देश हमारा है
जयकृष्ण राय तुषार
~~~~~~~~~~~~~~~~~~क्रांतिकारी कवि रूप में बिस्मिल की याद
दुश्मन के आगे सर यह झुकाया न जायेगा
बारे अलम अब और उठाया न जायेगा
अब इससे ज्यादा और सितम क्या करेंगे वो
अब इससे ज्यादा उनसे सताया न जायेगा
यारो! अभी है वक्त हमें देखभाल लो
फिर कुछ पता हमारा लगाया न जायेगा
हमने लगायी आग है जो इन्कलाब की
उस आग को किसी से बुझाया न जायेगा
कहते हैं अलविदा अब अपने जहान को
जाकर के खुदा के घर से तो आया न जायेगा
अहले-वतन अगरचे हमें भूल जाएंगे
अहले-वतन को हमसे भुलाया न जायेगा
यह सच है मौत हमको मिटा देगी एक दिन
लेकिन हमारा नाम मिटाया न जायेगा
आजाद हम करा न सके अपने मुल्क को
‘बिस्मिल’ यह मुँह खुदा को दिखाया न जायेगा
कथांश - 28.
दिन भर भागम-भाग मचाती हवाएँ कुछ शान्त हुई हैं.पेड़ों की लंबी परछाइयाँ खिड़की पर धीरे-धीरे हिल रही हैं .व्यस्त दिन के बाद अपार्टमेंट का ताला खोल कर चुपचाप बैठ गया हूँ. अब तक छुट्टी होते ही माँ के पास दौड़ जाता था.अब कहीं जाना नहीं होता . तनय हमेशा कहता है - ' भइया,हम भी आपके अपने हैं...
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंसमसामयिक सूत्र और उम्दा संयोजन |
सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएं--
आपका आभार आदरणीय राजेन्द्र कुमार जी।
विविधरंगी पठनीय सूत्रों से सजी सुंदर चर्चा..बधाई !
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति में मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा, प्रस्तुति में मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंबधाई !
"अपना परिचय ठीक से नहीं करा पाता
सादर
एम के पाण्डेय 'निल्को'
बहुत सुंदर चर्चा.
जवाब देंहटाएं'देहात' से मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.
सुंदर चर्चा ...........आभार
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया शास्त्री जी मेरी रचना यहाँ तक पहुँचाने के लिए।
जवाब देंहटाएंसभी लिंक्स एक से बढकर एक
जवाब देंहटाएंमुझे स्थान देने के लिए आभार