मेरी माँ की गोद में, भैया तू मत बैठ |
छूता ज्यों भैया बड़ा, छोटू जाता ऐंठ |
छोटू जाता ऐंठ, बड़ा भी उसे धकेले |
मेरी मेरी बोल, रोज ही करे झमेले |
मैया गई बुढ़ाय, बड़े ने आँख तरेरी |
छोटा रहा नकार, रहा बक तेरी-मेरी ||
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सुप्रभात
जवाब देंहटाएंसूत्र और संयोजन दोनो ही उम्दा |
मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
रंग-बिरंगी और विविध आयामी सुन्दर चर्चा।
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आपका आभार रविकर जी।
बहुत सुंदर संयोजन । आभारी है 'उलूक' रविकर जी सूत्र 'लिखे हुऐ को लिखे हुऐ से मिलाने से कुछ नहीं होता है' को स्थान देने के लिये ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा सूत्र ...
जवाब देंहटाएंशुक्रिया मेरी रचना को आज की चर्चा में शामिल करने का ...
waah ravikar bhai
जवाब देंहटाएंलाजबाव चर्चा
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा..मेरी कविता को शामिल करने का शुक्रिया
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