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शुक्रवार, जुलाई 31, 2015

"समय का महत्व" {चर्चा अंक-2053}

आज की चर्चा में आप सब का हार्दिक अभिनन्दन है। आज की चर्चा समय का महत्व को दर्शाती एक छोटी कहानी से करते हैं। आशा करता हूँ आप सब भी समय का महत्व अवश्य देते होंगें। 
एक आदमी था जोकि अपने काम को ईमानदारी से करता था ! वो काम के च्क्कर मे ह्मेशा घर देरी से पहुचता था ! एक दिन जब वो घर पहुचा तो उसका बेटा उसको उदास बैठा हुआ मिला ,उसने अपने बेटे से पूछा की वो उदास क्यो है तो वो बोला पापा आप 2 घंटे मे कितना कमा लेते हो इस बात से वो आदमी नाराज हो गया और बोला की तुमको इससे क्या मतलब है जाओ और अपना काम करो और मेरा दिमाग खराब मत करो वो लड़का रोता हुआ अपने कमरे मे चला गया ! थोड़ी देर बाद उस आदमी को कुछ एहसास हुआ और उसने सोचा कि उसका बेटा कभी एसी बातें नही करता है जरूर उसकी कोई परेशानी होगी इसलिये उसने पूछा होगा ! फिर वो अपने बेटे के कमरे मे गया और बेटे के पास बैठ गया जो की रो रहा था ! उसने प्यार से पूछा बेटा क्या बात है तो उस लड़के ने दोबारा से यही पूछा की पापा आप 2 घंटे मे कितना कमा लेते हो तो वो आदमी बोला कि 200 रुपये ए सुनकर लड़का खड़ा हुआ और छोटा सा मिट्टी का डिब्बा लाकर उसे तोड दिया उस के अंदर कुछ पैसे थे उसने पैसों मे से 200 रुपये निकाल के अपने पापा के हाथ मे रख दिये और बोला पापा ए लो 200 रुपये कल आप जल्दी आ जाना मे आपके साथ खाना-खाना चाहता हूँ।

रेखा जोशी 
भीगा मेरा तन मन सारा ,भीगी मलमल की चुनरी 
छाये काले बादल नभ पर , बिजुरी अब उसपार लिखें 
सावन बरसा अब आँगन में, चलती मस्त बयार लिखें 
मिलजुल कर अब रहना सीखें प्यारी इक बौछार लिखें
वीरेन्द्र कुमार शर्मा 
जो आत्म हत्या करते हैं उनके कर्म नष्ट नहीं होते आगे की यात्रा वहीँ से शुरू होती है जहां पहुंचकर अदबदाकर आत्मन को मन के कहे शरीर से जबरिया विमुक्त कर दिया गया मायिक (माया से बने ,मटीरियल से बने )मन द्वारा।
प्रीति सुराना 
एक रिश्ता
 तभी लंबी उम्र जीता है
 जब उसमें प्यार
भले ही एक तरफ़ा हो,..
 लेकिन
हर्षवर्धन त्रिपाठी 
हे टीवी मीडिया के असहाय मित्रों। अब नरक मत करो। #YakoobMemon #YakoobHanged के बाद अब उसकी शवयात्रा मत दिखाने लगना। नरक के भागी इतना भी न बनो। देश के सर्वप्रिय सबके राष्ट्रपति और सिर्फ राष्ट्रपति ही नहीं सबके साथी,शिक्षक डॉक्टर अबुल पाकिर जैनुलआब्दीन का अंतिम संस्कार भी आज हो रहा है।
नवेदिता दिनकर 
पहली बार ऐसा हुआ है , जब हर धर्म की मानव जाति , हर पार्टी का राजनेता, कोई भी आयु वर्ग, स्त्री, पुरुष , बच्चे, शिल्पकार, साहित्यकार , डॉक्टर , ...
एम के पाण्डेय 'निल्को' (VMW Team ब्लॉग )
दोस्तो/पाठको आप का स्नेह मिलता रहे हमे और हम कुछ नया करते रहे ऐसी अभिलाषा और अपेक्षा रखते है, बताना चाहेगे की आज से हम 'योगेश के युग', 'निशु के निशान', 'गजेंद्र का गोला', 'अभिषेक की अभिव्यक्ति', 'अनुज की अगड़ाई', 'नज़र और निशाना निल्को का', 'Whats App हँगामा', और 'मोहक की मार', शीर्षक से कुछ अपनी अभिव्यक्ति, नज़रिया, सोच आप के सामने प्रस्तुत करेगे।
अर्चना चावजी 
इस बार उसे माँ छोड़ने आई स्कूल...और स्कूल में हिदायत दे गई कि- अगर उसके पापा स्कूल में आएं तो मिलने देना ,मगर साथ नहीं ले जाने देना ..... कारण कि वे अलग हो गए हैं और दो बच्चों में से छोटा वे ले गए और बड़ा मेरे पास है .....
जैसे कोई वस्तुएं हो और बँटवारा कर लिया मुर्खों ने .... frown emoticon
दो बच्चे हैं और दोनों लड़के .....
आगे कुछ सोच पाना ही मुश्किल है ...
शालिनी कौशिक 
कविवर गोपाल दास ''नीरज''ने कहा है -

''जितनी देखी दुनिया सबकी दुल्हन देखी ताले में
कोई कैद पड़ा मस्जिद में ,कोई बंद शिवाले में ,
किसको अपना हाथ थमा दूं किसको अपना मन दे दूँ ,
कोई लूटे अंधियारे में ,कोई ठगे उजाले में .''
मदन मोहन सक्सेना 
जब से मैंने गाँव क्या छोड़ा 
शहर में ठिकाना खोजा 
पता नहीं आजकल 
हर कोई मुझसे 
आँख मिचौली का खेल क्यों खेला करता है
संतोष कुमार
मैं सोंचता हूँ...क्यों ना
लिख लूं
और बाँच भी लूं
खुद ही 
कुछ चिट्ठियाँ
मेरे - तुम्हारे नाम की !
राजीव उपाध्याय 
हर किसी की अपनी ही एक दुनिया होती है। एक ऐसी दुनिया जो सिर्फ उसकी होती है और शायद ही कोई उस दुनिया को जानता है। इस तरह लोगों का एक दूसरे से जान-पहचान होते हुए भी अंजान होते हैं। हर किसी को लगता तो है कि वे बहुत कुछ जानते हैं
यशवंत यश 
इस शोर में भी
 कहीं सुनाई देती है
 अजीब सी
 खामोशी
 जो अनकहे ही
 (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
मानव दानव बन बैठा है, जग के झंझावातों में।
दिन में डूब गया है सूरज, चन्दा गुम है रातों में।।

होड़ लगी आगे बढ़ने की, मची हुई आपा-धापी,
मुख में राम बगल में चाकू, मनवा है कितना पापी,
दिवस-रैन उलझा रहता है, घातों में प्रतिघातों में।
दिन में डूब गया है सूरज, चन्दा गुम है रातों में।।
विनीत वर्मा 
प्रकृति की गोद में चैन के कुछ पल बिताने की सोच रहे हैं तो एक बार आप उत्तर भारत का छोटा कश्मीर कहे जाने वाले उत्तराखंड राज्य के हिल स्टेशन पिथौरागढ़ घूम आइए| यहाँ आकर आप शहरी भाग-दौड़, गर्मी और उमस भरे माहौल को भूल जाएँगे।
सज्जन धर्मेन्द्र 
“तंत्र को पारदर्शी करो, तंत्र को पारदर्शी करो”। सरकारी दफ़्तर के बाहर सैकड़ों लोगों का जुलूस यही नारा लगाते हुए चला आ रहा था। अंदर अधिकारियों की बैठक चल रही थी। 

एक अधिकारी ने कहा, “जल्दी ही कुछ किया न गया तो बाहर नारा लगाने वाले लोग कुछ भी कर सकते हैं”।
सुशील कुमार जोशी 
छोड़ दिया जाये 
कभी किसी समय 
खींच कर कुछ 
सफेद लकीरें 
सफेद पन्ने के 
ऊपर यूँ ही 
हर वक्त सफेद 
को काला कर
नीलिमा शर्मा 
बुत बन गयी
जिन्दा ही
अपनों के आगे

गुनाह हो गये
उसके मौन लफ्ज़
और गर्त हो गयी
जिन्दगी
भारती दास 
अक्षर बोध ही नहीं कराते
वो देते हैं शक्ति का पूंज.
जीवन भर का चिंतन देते,
भरते चेतना का अनुगूँज.
गुरु रूप नारायण होते,
वीना सेठी 
भारत के आधुनिक महर्षि डॉ अब्दुल कलाम को आज भारत माता ने अपने आँचल में चिर विश्राम के लिए पनाह दे दी. भारत के मिसाइल मैन के नाम से प्रसिद्ध डॉ कलाम एक ऐसी शख्सियत थे जिन्होंने “गीता” के कर्मयोग का अर्थ को उसके वास्तविक अर्थों में समझकर अपने जीवन में उतार लिया और सारे जीवन एक सच्चे कर्मयोगी की तरह अपने काम में निरंतर लगे रहे.
चर्चा के अंत में गूगल की नई पेशकश 
वेब मिडिया पर 

धन्यवाद, फिर मिलेंगे अगले शुक्रवार को 


1 टिप्पणी:

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