मित्रों
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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आज तोताराम आया लेकिन बैठा नहीं |खड़ा-खड़ा ही हमें दो मिनट घूरता रहा फिर टिकट चेकर की तरह बोला- तेरी डिग्री कहाँ हैं ?
हमने कहा- अब हमें कहीं नौकरी नहीं करनी |जब नौकरी माँगने गए थे तब दिखा दी थी |अब तो ऊपर से बिना आवेदन किए, इंटरव्यू दिए और डिग्री दिखाए सीधा नियुक्ति-पत्र ही आएगा और नियुक्ति-पत्र भी ऐसा कि ज्वाइन करना ही पड़ेगा |और वहाँ कोई डिग्री नहीं देखी जाती |वहाँ कर्म देखे जाते हैं |तभी कबीर ने कहा है-
जाति न पूछो साधु की पूछ लीजिए ज्ञान |
मोल करो तरवार का पड़ी रहन दो म्यान ||
सो व्यक्ति का ज्ञान और उस ज्ञान के आधार पर कर्म महत्त्वपूर्ण हैं न कि डिग्री...
हमने कहा- अब हमें कहीं नौकरी नहीं करनी |जब नौकरी माँगने गए थे तब दिखा दी थी |अब तो ऊपर से बिना आवेदन किए, इंटरव्यू दिए और डिग्री दिखाए सीधा नियुक्ति-पत्र ही आएगा और नियुक्ति-पत्र भी ऐसा कि ज्वाइन करना ही पड़ेगा |और वहाँ कोई डिग्री नहीं देखी जाती |वहाँ कर्म देखे जाते हैं |तभी कबीर ने कहा है-
जाति न पूछो साधु की पूछ लीजिए ज्ञान |
मोल करो तरवार का पड़ी रहन दो म्यान ||
सो व्यक्ति का ज्ञान और उस ज्ञान के आधार पर कर्म महत्त्वपूर्ण हैं न कि डिग्री...
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फूल ग़ाफ़िल जी खिले भी ख़ूब थे
चश्म तर थे पर लड़े भी ख़ूब थे याद है क्या हम मिले भी ख़ूब थे
मंज़िले उल्फ़त रही हमसे जुदा गो के उस जानिब चले भी ख़ूब थे...
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एक तुम्हारे लिए!!
मुक्ति के द्वार पर दासता को लिए
प्रार्थना कर रहे मित्र तुम किस लिए?
स्वर्ग से भी परे मोक्ष के मार्ग पर
अर्चना कर रहे एक तुम्हारे लिए।।
कंठ अवरूद्ध है ईश क्यों क्रुद्ध है?
मन मेरा कह रहा तन कहां बुद्ध है...
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एक उम्दा शेर
कैद से आज़ाद कर के यूँ हवा ले आयेगा !
वक़्त का घोड़ा पता तूफ़ान का ले आयेगा !
है सिकंदर शेर फिलवक्त ,इसको कट जाने तो दें ,
पर्वतों में रास्ता ,खुद फासला ले आयेगा...
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शारदा दिव्यांग नहीं है भई..!
मिसफिट Misfit पर गिरीश बिल्लोरे मुकुल
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डॉ पवन विजय के मुक्तक
१.
मैं बांच भागवत देता हूँ तुम मौन में जो कुछ कहती हो।
मैं विश्वरूप बन जाता हूँ मेरे आस पास जो रहती हो।
संतापित मन मेघ बन गया सुनकर के मल्हारी गीता,
मैं अर्जुन सा हो जाता हूँ तुम माधव जैसी लगती हो।
२...
PAWAN VIJAY
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Auli-pangarchulla-Kuari pass-tapovan-
Bhavishya badri -11
yatra ,Discover
india`s mostly tourist attractions
Bhavishya badri -11
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दुबला पतला सा बदन,
तन पर चढ़ा न मांस
मज़ा कहाँ से आयेगा ,करने में
रोमांस करने में रोमांस ,
कमरिया खाती हो बल
बड़े शान से दिखलाते है ज़ीरो...
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विधवा अहरिन गाँव की पाचवीं औरत थी , जो डायन होने के शक में गाँव की भारी पंचायत में अपमानित होने के बाद नग्न घुमाए जाने का संत्रास भुगत रही थी ...
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