मित्रों
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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दोहे रचना !
आस्था के बल पर गर्म, धर्म के सब दुकान
अन्धविश्वास बिकता है, सच्ची भक्ति बदनाम |1|
रूह चलाती काय को, यही आत्मा का गुण
काया में बसी आत्मा, खुद रूपहीन अगुण ...
मगर यह दोहे नहीं हैं।
दोहाछन्द की मजाक मत उड़ाइए।
कालीपद "प्रसाद"
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पुस्तक विमोचन
-समय -समय पर -
पंडित केशरी नाथ त्रिपाठी
महामहिम राज्यपाल पश्चिम बंगाल के
विचारों /भाषणों का संग्रह
जयकृष्ण राय तुषार
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एक वो बिहार था
थे वेदमंत्र के स्वर उभरते
पवित्र कुरान की पढ़ती आयत
न्याय की गरिमा बिखर गयी है
पाशविकता ने दी है आहट.
मोर्य वंश और गुप्त वंश का
स्वर्णिम युग था शासन काल
गर्वित होकर इतिहास सुनाती
उस सुन्दर पल-छिन का हाल.
विश्वविख्यात था नालंदा का
अनुपम सा शिक्षा-संस्थान
अर्थशास्त्र के हुए रचयिता
श्रेष्ठ गुरु चाणक्य महान...
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उधार
इश्क़ बेचने चला था उधार में
दर्द खरीद लाया
नीम हाकिम सब को दिखलाया
मगर दर्द की दवा कोई ना कर पाया...
RAAGDEVRAN पर
MANOJ KAYAL
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पदचिन्ह
मैं देखकर झुठला जाता था
नहीं भाता था
रास नहीं आता था
उस दृश्य उस नक्शे का ज्ञान
जानबूझ कर हो जाता था
मार्गदर्शन से अनजान...
आपका ब्लॉग पर
Sanjay kumar maurya
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धरती का स्वर्ग श्रीनगर कश्मीर की यात्रा
श्रीनगर का नाम लेते ही कश्मीर का ध्यान आ जाता है, कश्मीर धरती का स्वर्ग कहा जाता है, श्रीनगर कश्मीर की यात्रा की इच्छा बहुत है, जब पिछली बार भी कार्यक्रम बना तो भी मैं वहाँ नहीं जा पाया था, मैं केवल तीन दिन में ही कश्मीर का आनंद लेना चाहता हूँ। पर्यटन का जो आनंद और अनुभव श्रीनगर में ले सकते हैं वह शायद ही दुनिया में कहीं और मिल सकता है। मैं केवल तीन दिन में ही श्रीनगर का पर्यटन कर लेना चाहता हूँ...
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जल्दी याने जल्दी नहीं
यह आपबीती मुझे आज, 12 मई को मन्दसौर के एक ठेकेदार ने सुनाई। मध्य प्रदेश सरकार ने अपना एक काम अपने एक उपक्रम से कराने का फैसला किया। याने कि सरकारी भाषा में उस उपक्रम को, ‘नोडल एजेन्सी’ बनाया। काम कराने के लिए इस नोडल एजेन्सी ने दिसम्बर 2014 में निविदा निकाली। इस काम के अनुभवी, प्रदेश के कुछ ठेकेदारों ने अपने-अपने भाव प्रस्तुत किए। सबसे कम भाव होने के कारण मन्दसौर के इस ठेकेदार को ठेका मिला। शर्तों के मुताबिक इस ठेकेदार ने, निविदा की शर्तें पूरी करते हुए, जनवरी 2015 में 8,00,000/- रुपये अमानत राशि के रूप में जमा कराए। लेकिन उसके नाम पर कार्यादेश (वर्क आर्डर) जारी होता उसके पहले अचानक...
एकोऽहम् पर विष्णु बैरागी
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ख़्वाब और हक़ीक़त
तुम किसी ख़्वाब से ख़ूबसूरत हो की तुम हक़ीक़त हो,
तुम्हें चाहने और न भूलने के सिवा कोई रास्ता ही नहीं।
कि तुम हो न सके अपने ये भी सच है लेकिन,
तुम ग़ैर भी न हो पाओगे झूठ ये भी तो नहीं...
पथ का राही पर musafir
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गीत : 44 -
जी भर गया है ॥
कि चाहो तो क्या तुम न चाहो तो क्या है ?
मोहब्बत से अब अपना जी भर गया है ॥
न धोखाधड़ी की न जुल्म-ओ-जफ़ा की ।
जो करता हो बातें हमेशा वफ़ा की ।
मगर तज़्रिबा अपना ज़ाती ये कहता ,
वही हमसे अक्सर ही करता दग़ा है ...
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