मित्रों
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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ख़ुदी का रसूख़...
शिद्दते-दर्द को बढ़ाना है
आशिक़ी तो महज़ बहाना है
सामना कीजिए हक़ीक़त का
वक़्त को फ़ैसला सुनाना है...
साझा आसमान पर
Suresh Swapnil
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मुक्त-ग़ज़ल : 188 -
कामयाबी
हमने देखा फ़ायदा कुछ भी नहीं तदबीर का ॥
कामयाबी में हमेशा हाथ हो तक़दीर का ॥
बेर जब हमको ज़रूरी हमको मत अंगूर दो ,
जिस जगह अमरूद लाज़िम काम क्या अंजीर का...
जिस जगह अमरूद लाज़िम काम क्या अंजीर का...
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नहीं किया लेकिन कर दिया
अपनी ‘व्यवस्था’ (याने कि सरकारी तन्त्र) की माया सचमुच में अपरम्परापार है। कभी कहो तो भी काम न हो और कभी न करने की कह कर भी काम कर दे। कोई तीस बरस हो गए होंगे इस बात को। श्री गोपाल कृष्ण सारस्वत हमारे रतलाम जिले के अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी (एडीएम) थे। वे मेरे पैतृक गाँव मनासा से बारह-तेरह किलो मीटर दूर स्थित ग्राम कुकड़ेश्वर के दामाद थे...
एकोऽहम् पर विष्णु बैरागी
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लक्ष्मनरेखा
आखिर क्योँ लांघ जाती हैं घर की देहलीज़
यह मासूम बेटियां रहती हैं अंजान हरदुश्वारी से
यह मासूमकलियाँ
छदिक् मोह,प्यार,औरउन्मादमेंकरबैठतीं हैं
यह भयानक गलतियाँ
अपनापरिवार, परिवेश,गलियां,सहेलियां
सब छोड़ बैठती हैं,सब एक पल में
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पिघला कभी जो जाके, समन्दर में सो गया
पिघला कभी जो जाके, समन्दर में सो गया
और जब तपा तो देखिये आकाश हो गया...!
पानी हूँ यकीं कीजिये प्यासों के लिए हूँ
सेहरा में बन *मिराज मैं एहसास हो गया...
और जब तपा तो देखिये आकाश हो गया...!
पानी हूँ यकीं कीजिये प्यासों के लिए हूँ
सेहरा में बन *मिराज मैं एहसास हो गया...
मिसफिट Misfit पर गिरीश बिल्लोरे मुकुल
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आवाज़ को सींचने-पोसने वाले वनमाली सर
ज़िन्दगी में सभी ने मुझे कुछ न कुछ सिखाया है..लेकिन अगर मैं किसी की सबसे ज्यादा शुक्रगुज़ार हूँ तो वो हैं मुझे वॉइस् ट्रेनिंग देने वाले वनमाली सर..जब वहां गयी थी तो मुंह से शब्द नहीं निकलते थे..पर उन्होंने शब्दों में भाव लाना सिखाया...या कहूँ उन्होंने ही आत्मविश्वास दिलाया मुझे..जिसके कारण मैं लोगों के सामने बोलने लायक हो सकी..
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क़समें खाकर
खून के ख़त लिखकर
किए गए हों जो वादे
सिर्फ़ वही वादे नहीं होते
ख़ामोशी के साथ
आँखों ही आँखों में
होते हैं बहुत से वादे ...
साहित्य सुरभि
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