मित्रों
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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नारद जयंती पर आह्वान गीत
संवादी ऋषि तत्वज्ञानी, तुम पराध्वनी के विज्ञानी
हे नारद आना इस युग में, युग भूल रहा अन्तसवाणी
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सत्य सनातन घायल है, धर्म ध्वजा खतरे में है
मानवतावादी चिंतन भी, बंदी है ! पहरे में है..!
मुदितामय कैसे हों जीवन ? हैं ज्ञान-स्रोत ही अभिमानी !!...
मिसफिट Misfit पर गिरीश बिल्लोरे मुकुल
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नज़रों का धोखा था वो, सादिक वफा नहीं थी,
सिद्दत से उसको ढूँढा, भटका हूँ हर जगह पर,
लेकिन न वो मिला, मुझे जिसकी तलाश है।
चल-चल के रहगुजर में, जूते घिसे और पैर भी,
मंजिल के अब तलक हम, फिर भी न पास है...
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चन्द माहिया :
क़िस्त 33
:1:
जब तुम ने नहीं माना
टूटे रिश्तों को
फिर क्या ढोते जाना
:2:
मुझ को न गवारा है
ख़ामोशी तेरी
आ, दिल ने पुकारा है
:3:..
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पहला और दूसरा
पहला शांत है पर चेतन, जागृत
दूसरा अशांत है उद्वेलित
कोशिश कर रहा दूसरा
पहले को परेशान करने की...
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मुक्त-ग़ज़ल : 189 -
उन्ही का ख़्वाब रहे ॥
हम पे प्यासों में भी न क़तरा भर भी आब रहे ॥
उन पे नश्शे में भी सुराही भर शराब रहे ॥
रोशनी को चिराग़ भी नहीं रहे हम पे ,
उनकी मुट्ठी में क़ैद सुर्ख़ आफ़्ताब रहे...
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प्रधानमंत्री मोदी जी के नाम पत्र
परमप्रिय/आदरणीय प्रधानमंत्री जी, . आपके कार्यकाल के दो वर्ष पूरे होने पर आपका हार्दिक अभिनन्दन एवं बधाई । आप स्वस्थ एवं दीर्घायु हों तथा अपनी जनता की सेवा इसी प्रकार करते रहें । आपका बहुत-बहुत आभार की आप हमारे द्वारा लिखी गयी पोस्टों पर निरंतर अपनी पैनी दृष्टि बनाये रखते हैं और उन्हें संज्ञान में भी लेते हैं । पिछले दो वर्षों में मैंने आपसे जिन मुद्दों पर भी निवेदन किया आपने उन्हें तत्काल संज्ञान में लेकर उन्हें समय रहते दुरुस्त भी किया है । कुछ बहुत अहम् मुद्दों पर जहाँ आपसे चूक हो रही थी , उन्हें भी आपने हमारी पोस्टों द्वारा निवेदन किये जाने का सम्मान करते हुए सुधारा । हमारा एक निवेदन...
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बाल कविता
"खरबूजों का मौसम आया"
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
मित्रों...!
गर्मी अपने पूरे यौवन पर है।
ऐसे में मेरी यह बालरचना
आपको जरूर सुकून देगी!
गर्मी अपने पूरे यौवन पर है।
ऐसे में मेरी यह बालरचना
आपको जरूर सुकून देगी!
लो मैं पेटी में भर लाया!
खरबूजों का मौसम आया!!
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दो मुक्तक
"आहुति देते परवाने हैं"
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
हम दधिचि के वंशज हैं, ऋषियों की हम सन्ताने हैं।
मातृभूमि की शम्मा पर, आहुति देते परवाने हैं।
दुनियावालों भूल न करना, कायर हमें समझने की-
उग्रवाद-आतंकवाद से, डरते नहीं दीवाने हैं।
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इश्क़ की केतली में
पानी-सी औरत और
चाय पत्ती-सा मर्द
जब साथ-साथ उबलते हैं
चाय की सूरत
चाय की सीरत
नसों में नशा-सा पसरता है
पानी-सी औरत का रूप
बदल जाता है...
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बुद्ध का धर्म चक्र प्रवर्तन
बहुतेरे लोग मानते हैं कि गौतम बुद्ध ने कोई नया धर्म चलाया था और वे हिंदू धर्म से अलग हो गए थे। हालांकि ऐसे लोग कभी नहीं बता पाते कि बुद्ध कब हिंदू धर्म से अलग हुए? हाल में एक वाद-विवाद में बेल्जियम के विद्वान डॉ. कोएनराड एल्स्ट ने चुनौती दी कि वे बुद्ध धर्म को हिंदू धर्म से अलग करके दिखाएं। एल्स्ट तुलनात्मक धर्म-दर्शन के प्रसिद्ध ज्ञाता हैं। ऐसे सवालों पर वामपंथी लेखकों की पहली प्रतिक्रिया होती है कि ‘दरअसल तब हिंदू धर्म जैसी कोई चीज थी ही नहीं।’ यह विचित्र तर्क है...
हिन्दू - हिंदी - हिन्दुस्थान
बहुतेरे लोग मानते हैं कि गौतम बुद्ध ने कोई नया धर्म चलाया था और वे हिंदू धर्म से अलग हो गए थे। हालांकि ऐसे लोग कभी नहीं बता पाते कि बुद्ध कब हिंदू धर्म से अलग हुए? हाल में एक वाद-विवाद में बेल्जियम के विद्वान डॉ. कोएनराड एल्स्ट ने चुनौती दी कि वे बुद्ध धर्म को हिंदू धर्म से अलग करके दिखाएं। एल्स्ट तुलनात्मक धर्म-दर्शन के प्रसिद्ध ज्ञाता हैं। ऐसे सवालों पर वामपंथी लेखकों की पहली प्रतिक्रिया होती है कि ‘दरअसल तब हिंदू धर्म जैसी कोई चीज थी ही नहीं।’ यह विचित्र तर्क है...
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