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शुक्रवार, मई 13, 2016

"कुछ कहने के लिये एक चेहरा होना जरूरी" (चर्चा अंक-2341)

मित्रों
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

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दम मेरा छूट जाए 

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ 
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आँगन में रखी कुर्सी में धंसे नेताजी ध्यानपूर्वक देख रहे थे कि दानों के लिए चिड़िया आपस में किस तरह लड़ रही थी | वे एक दूसरे पर चोंच व पंजों से हमला कर रही थी |
 पास खड़े चमचे ने उनकी ध्यान-तन्द्रा तोड़ते हुए कहा-‘’ दादा , इन चिड़ियों को आप बड़े गौर से देख रहे हैं ? कोई चुनावी सूत्र ढूंढ रहे है क्या ?’’
‘’ हाँ .... मिलगया ... हमें सूत्र मिल गया |’’नेताजी मुस्करा उठे |
‘’ काहे का सूत्र मिल गया दादा? हमें भी तो बताओ |’’ 
चमचे कि जिज्ञासा भरी नजरें उन पर टिक गई... 

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गर्मियों में तुरंत ऊर्जा चाहते हैं? तो इसके लिए आप डीटॉक्स आहार अपना सकते हैं यानी ऐसे आहार जो आपके शरीर के विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में आपकी मदद करें। गर्मियों में तरबूज, खीरे और नींबू को अपने आहार में शामिल करें।
*ऑरिफ्लेम इंडिया की आहार विशेषज्ञ सोनिया नारंग ने कुछ डीटॉक्स टिप्स दिए हैं, 

जो हमारे शरीर की सफाई करने और हमें स्वस्थ, 
हल्का और तरोताजा महसूस करने में मदद करेंगे।
*तरबूज : तरबूज गर्मियों में डीटॉक्स के लिए एक बेहतरीन आहार है। तरबूज शरीर में क्षार का निर्माण करता है और इसमें उच्च मात्रा में सिट्रुलाइन (citrulline) होता है। यह आर्गिनिन (arginine) के उत्पादन में मदद करता है, जो हमारे शरीर से अमोनिया और अन्य विषैले पदार्थ को निकालने में मदद करता है। इसी के साथ तरबूज पोटैशियम का एक बेहतरीन स्रेत है, जो हमारे आहार में सोडियम की मात्रा को संतुलित करता है जो गुर्दों की मदद करता है और शरीर की भीतरी सफाई के लिए बेहतरीन है।
*खीरा : खीरे शरीर से विषैले पदार्थों को निकालने में मदद करते हैं। खीरे में मौजूद पानी की उच्च मात्रा मूत्र प्रणाली को दुरुस्त रखती है। 

आधा कप कटे हुए खीरे में केवल आठ कैलोरीज होती हैं।
*नींबू : नींबू यकृत के लिए बेहद फायदेमंद है। यह यूरिक ऐसिड और अन्य विषैले पदार्थों को घोलता है और यकृत की कार्यक्षमता को बढ़ाता है।
*भाप में पकाना : सब्जियों को भाप में पकाना एक अच्छा तरीका है 

क्योंकि इससे इनका पोषण नष्ट नहीं होता
*व्यायाम : शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने के लिए थोड़ा व्यायाम करें। डीटॉक्स के दौरान कैफीन और शराब से दूर रहना जरूरी है। 

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झरे फुहार
झमक झमा झम
सिहर उठी धरा ।
बिहँसे मेघ 
धूसरित वसन
दमक लहराया ।
2... 
त्रिवेणी 
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दुआ करना सदा तुम, दूर तक इसका असर जाए 
इसी से क्या पता बदहाल दुनिया कुछ संवर जाए |

वफाओं के बिना कैसे उगें फसलें मुहब्बत की
दिखे वीरानगी यारो, जहां तक भी नज़र जाए ... 
साहित्य सुरभि 
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गीत  

"महफिलों में जहर उगलते हैं"  

(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 


रोज चोला नया बदलते हैं।
फिर नयी अंजुमन में चलते हैं।।

कभी पत्तों के रँग में ढल जाते, 
कभी शाखों के रँग के हो जाते,
लोग गिरगिट की तरह से अपने, 
रंग पल-पल यहाँ बदलते हैं... 

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