मित्रों
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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‘हम सब प्रयास कर रहे हैं. हम अपराधी को सज़ा दिला कर ही रहेंगे. अगर यहाँ निर्णय हमारे पक्ष में न हुआ तो हम अपील दायर करेंगे. हाई कोर्ट जायेंगे. आवश्यक हुआ तो सुप्रीम कोर्ट भी जायेंगे. परन्तु हम हत्यारे को छोड़ेंगे नहीं. इस बार वह बच न पायेगा. यह चौथी हत्या है जो उसने की है. आज तक उसे सज़ा नहीं मिली. परन्तु इस बार ऐसा न होगा. हम उसे सज़ा दिला कर रहेंगे, हमें कुछ भी करना पड़े. बस, प्लीज् आप थोड़ा धैर्य रखें... ’
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ऐतवार उठ गया है
मैंने सत्य के अलावा
कुछ न कहा
तूने ही मुझे झुटलाया
मैं जान नहीं पाया
क्या था तेरा इरादा...
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वक्त कभी भी ना दिया, रहे भेजते द्रव्य |
घड़ी गिफ्ट में भेज के, करें पूर्ण कर्तव्य ||
जब से झोंकी आँख में, रविकर तुमने धूल।
अच्छे तुम लगने लगे, हर इक अदा कुबूल।।
चीनी सा रविकर गला, करता जल से नेह।
नुक्ता-चीनी जल करे, हुआ उसे मधुमेह।।
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दाद और खुजली, यह त्वचा संबंधी रोग है जिसकी वजह से काफी परेशानी होती है। आइये आपको इन रोगों के लक्षणों और इनके कारगर घरेलू उपायों के बारे में बताते हैं जो इन बीमारीयों को दूर करेगा।
दाद के लक्षण
दाद यह त्वचा का रोग है जो आपकी त्वचा पर फफूंद के रूप में दिखता है और इसका आकार गोल व रंग लाल होता है जो धीरे-धीरे बढ़ने भी लगता है। दाद त्वचा, बालों और नाखूनों को प्रभावित करता है...
दाद के लक्षण
दाद यह त्वचा का रोग है जो आपकी त्वचा पर फफूंद के रूप में दिखता है और इसका आकार गोल व रंग लाल होता है जो धीरे-धीरे बढ़ने भी लगता है। दाद त्वचा, बालों और नाखूनों को प्रभावित करता है...
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हर ओर तिश्नगी है हर ओर ग़म के साये
तुह्मत थी जब लगानी तो शौक से लगाए
जब दाद बाँटनी थी हम क्यूँ न याद आए...
अंदाज़े ग़ाफ़िल पर
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
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गीत और दीप
हो व्यथा की वेदना या अंतर का उल्लास
पीड़ा मन की तीव्र हो या प्रियतम की चाह
अति चंचला हो भावना जब हिल्लोर लेती है
वही तब बूँद बनती है, वही तब गीत बनती है...
Dr.J.P.Tiwari
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किन्तु नारि पे नारि, स्वयं ही पड़ती भारी-
नारी अब अबला नहीं, कहने लगा समाज ।
है घातक हथियार से, नारि सुशोभित आज ।
नारि सुशोभित आज, सुरक्षा करना जाने ।
रविकर पुरुष समाज, नहीं जाए उकसाने ।
किन्तु नारि पे नारि, स्वयं ही पड़ती भारी |
पहली ढाती जुल्म, तड़पती दूजी नारी ।|
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क्या बाबर हिंदुस्तान की थाह लेने छद्म वेश में आया था?
ज्ञान दर्पण : विविध विषयों का ब्लॉग
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कार्टून :-
दद्दा, इब तू सीधै सुरग जइहें
Kajal Kumar's Cartoons
काजल कुमार के कार्टून
ज्ञान दर्पण : विविध विषयों का ब्लॉग
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कार्टून :-
दद्दा, इब तू सीधै सुरग जइहें
Kajal Kumar's Cartoons
काजल कुमार के कार्टून
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ग़ज़ल
"दो जून की रोटी"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
महीना जेठ का का आया, हुई हैं रात अब छोटी
बड़ी मुश्किल से मिलती है, मगर दो जून की रोटी
श्रमिक को हो गया दूभर. अरहर की दाल को खाना
बढ़ी महँगाई तो मजदूर की, किस्मत हुई खोटी...
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