मित्रों
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
आज हमारा इंटेरनेट नहीं चल रहा है,
मोबाइल से काम चला रहा हूँ।
देखिए मेरी पसन्द के थोड़े से लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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दोहे
"करो रक्त का दान"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
मानव होकर कीजिए, मानव पर अहसान।
एक बार तो साल में, करो रक्त का दान।।
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खाना-पीना-खेलना, नहीं मनुज का धर्म।
जिससे जीवन हो सफल, कर लो ऐसे कर्म...
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अरे यह क्या ?
अरे यह क्या ?
हैयहाँ अपार शान्ति
अंतर से उपजी या थोपी गई
कारण जान न पाए
मुंह पर लगी पट्टिका का
राज समझ न पाए
यह तभी पता चलेगा जब
उसे बोलने का
अवसर मिलेगा...
हैयहाँ अपार शान्ति
अंतर से उपजी या थोपी गई
कारण जान न पाए
मुंह पर लगी पट्टिका का
राज समझ न पाए
यह तभी पता चलेगा जब
उसे बोलने का
अवसर मिलेगा...
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बे अदब कलमा पढ़ा जाता नहीं
दर्दे दिल से दम निकल पाता नहीं ।
अब सितम हमसे सहा जाता नहीं ।।
घर मिरा जलता रहा वर्षो से है ।
आग अब कोई बुझा पाता नहीं...
तीखी कलम से पर
Naveen Mani Tripathi
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कैराना और कन्फ्यूजन
कैराना, कन्फ्यूजन, पॉलटिक्स और अविश्वास यूपी के शामली जिले के कैराना से बड़ी संख्या में हिंदुओं के पलायन को लेकर बबाल मचा हुआ है। बीजेपी के स्थानीय सांसद ने इस मुद्दे को उठाया है। पलायन का कारण मुसलमानों के द्वारा प्रताड़ित किया जाना बताया जा रहा है। पर कैराना पे बहुत कन्फ्यूजन है। पहली बात तो यह कि यूपी में चुनाव है और बीजेपी हिन्दू वोट बैंक के पोलराइज़्ड करने के लिए यह सब करेगी ही। दूसरी बात यह कि कैराना का सच क्या है इसे जानने का कोई साधन, चेहरा, मीडिया उन लोगों को नजर नहीं आता जो सच में आम आदमी है, निरपेक्ष। कैराना को लेकर ज़ी न्यूज़ जैसे भक्तिभाव से भरे न्यूज़ चैनल चिल्ला रहे है,...
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तीन रचनाएँ : गिरीश मुकुल
संगमरमर को काट के निकलीं
बूंद निकली तो ठाट से निकलीं
🌺🌺
बंद ताबूत में थी इक “चाहत” !
एक आवाज़ काठ से निकली ...
बूंद निकली तो ठाट से निकलीं
🌺🌺
बंद ताबूत में थी इक “चाहत” !
एक आवाज़ काठ से निकली ...
मिसफिट Misfit पर गिरीश बिल्लोरे मुकुल
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देश बदल रहा है
फिर भी खिल रहे है बिना नागा
फूल दोपहरी में महक रहा है पुदीना
और मोगरा इस ताप में तुतलाती जुबान से
विकसित हो रही है भाषा...
ज़िन्दगीनामा पर Sandip Naik
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दोहे !
...बिकता नहीं खुदा कभी, रुपये हो या माल
लोचन जल के बूंद दो, दर्शन करो कमाल...
कालीपद "प्रसाद"
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क्या होगा
हवा बदली खबर आयी कि मौसम खुशनुमा होगा
नई शामें नई रातें नया अब हर शमा होगा
नए साथी नई मंजिल नया अब रहनुमा होगा
नई आँखें कई आँखें उम्मीदों से भारी बैठी
जो न होगा अगर ऐसा तो सोचो फिर क्या होगा...
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