मित्रों
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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वर्तमान परिदृश्य में योग की आवश्यकता
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi2sPsOd3uFtKlT32ihd3j9jJ8_-G6u0PDsKReWlCMBBb_HbVp99pNVshPQp_j_sov8d42po2vf3SU__IlXx3Cvd3w5-jSofNc4K2Q7dO7FW_tSzlKhgluLpjXafyZdRZ2vkxhHzk4loo4M/s400/yoga+for+harmony+%2526+peace.jpg)
आज के भौतिकवादी युग में एक ओर जहां हम विज्ञान द्वारा विकास की दृष्टि से उन्नति के शिखर पर पहुंच रहे हैं, वहीं दूसरी ओर आध्यात्मिक रूप से हमारा पतन परिलक्षित हो रहा है। आज मनुष्य के खान-पान, आचार-व्यवहार सभी में परिवर्तन होने से उसका स्वास्थ्य दिन -ब-दिन गिरता जा रहा है। यही कारण है कि आज हमें ऋषि-मुनियों की शिक्षा को जानने के लिए, उनके द्वारा बनाये उत्तम स्वास्थ्य के रास्ते पर चलने के लिए योग की परम आवश्यकता है, जिससे हम “बहुजन हिताय बहुजन सुखाय“ की सुखद कल्पना को साकार कर सकें...
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मंगलगान
"कनिष्ठ पुत्र विनीत का जन्मदिन"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiYKHuu2cdc2N81R96hFmbWnlcGGThbzcflEsEwiqZ0ef7eoFLeHX0iSmtZcV6a1JOCNTupUZW9vsqY4QXT4RrJsm6lw9Kyxdf-GlkJPDlSfbPeGYkaISHSWKomZf9P6oDTcaiyWCJw_3ei/s320/10.jpg)
आज तुम्हारे जन्मदिवस पर, महक रहा सारा उपवन।खुशियों की बन्दनवारों से, चहक रहा है घर-आँगन।।रिमझिम बदरा बरस रहे हैं, धरती की चूनर धानी,इन्द्र देवता करने आये, चौमासे की अगवानी,मलयानिल पर्वत से चलकर, आया मन्द-सुगन्ध पवन...
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दोहे
"आज सुखद-संयोग"
![](https://scontent-mad1-1.xx.fbcdn.net/v/t1.0-9/13450922_578414262341438_8707129815241622578_n.jpg?oh=95c167f778c44b062fe17a3b24579557&oe=57D53757)
योग-दिवस का बन गया, आज सुखद-संयोग।
सबको करना चाहिए, नित्य-नियम से योग।।
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योग-ध्यान का दे दिया, अब जग को सन्देश।
विश्वगुरू कहलायगा, फिर से भारत देश।।
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खुश होकर अपना लिया, सबने अपना योग।
भारत के पीछे चले, दुनियाभर के लोग...
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राजपथ पर योगाभ्यास
किस्वस्थ तन में ही स्वस्थ मन का विकास संभव है काया का निरोगी होना जरूरी है बिना पानी भी
vandana gupta
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ग़ज़ल
सारी सारी रात-जग जिन के लिए पूछते वे जागरण किन के लिए
चाँद तारों तो झुले हैं रात में एक सूरज को रखा दिन के लिए ...
कालीपद "प्रसाद"
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सुरक्षित नहीं है सफ़र
अपने देश में सड़क पर चलना कोई आसान काम नहीं है। कब आपकी जान पर बन आए, इसकी कोई गारंटी नहीं है। मैं सिर्फ सड़क पर हुए मारपीट जैसी घटनाओं का जिक्र नहीं कर रहा। देश में लाड़-प्यार से पाले गए छोकरों ने मर्निंग वॉक से लेकर पैदल चल रहे लोगों का जीना दूभर कर दिया है। वैसे भी, पिछले एक साल देश में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में काफी इज़ाफा देखा गया है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की जारी की गई ताज़ा रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2014 के मुकाबले 2015 में सड़क दुर्घटनाओं में 2.5 फीसद और इन दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या में 4.6 फीसद का उछाल आया है। जबकि पिछले एक दशक...
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तेरे मसलों में न जाने किस जगह मंजिल मिले
इतना भी अनमोल न रखना दिल में बस रंजिश मिले |
कौन जाने किस सफ़र में कोई कब आकर मिले,
मुझको लफ़्ज़ों में यूँ रखना राग में बंदिश मिले...
Harash Mahajan
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जलचक्र ----
में हूँ पानी की वही बूँद ,
इतिहास मेरा देखा भाला |
मैं शाश्वत, विविध रूप मेरे,
सागर घन वर्षा हिम नाला। 1
!['मैं वही बूँद हूँ पानी की'](https://fbcdn-photos-c-a.akamaihd.net/hphotos-ak-xat1/v/t1.0-0/p235x165/13427947_1407873919239027_6507809037911443958_n.jpg?oh=730d6dd52f9d41033f5cfb34ec5d46e9&oe=57E26273&__gda__=1474037976_ca2d1b18d798065dde309cb50a0fcbf5)
धरती इक आग का गोला थी,
जब मार्तंड से विलग हुई।
शीतल हो अणु परमाणु बने,
बहु विधि तत्वों की सृष्टि हुई । 2...
कविता ...
डा श्याम गुप्त .....
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बूंदे
बूंदे बस रही हैं मन में
तन को छूकर,
पीड़ा छलक रही है बनकर बूंदे ऑखों में,..
आपका ब्लॉग पर
Sanjay kumar maurya
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एक गजल कोई अपना बिछड़ गया होगा
देखो कुटिया का दम अब घुटता है।
सामने इक महल आ तना होगा।।
उसकी आंखों में अब सिर्फ आंसू हैं।
सपना सुंदर-सा छिन गया होगा..
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पतझड़ सी नीरवता से जब
मन भर जाता है
मेघ उतरता है नैनों में
आसमान रीत जाता है।
वितथ जीवन का तथ्य
मैं अकिंचन क्या जानूं
दिन - रात की आपाधापी में
जीवन - संगीत जाता है...
दिल से पर Kavita Vikas
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पापा कितना खुश होते हैं??
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhRyC4KtLu_rtbBFGuzFSNzF4d0fDyAVXWvm4dUwSFZbv46-CZKZjPrqxH8K7lY5cmXiTxa7q447zDU4B0gduZ-1W-XmuA4GECwa_7eCJbfkfAdZyNwHrIviPMnBJ2-1N4qOUS1-50iLRLq/s320/BeautyPlus_20160619135711_save.jpg)
जब अखबारों में भूले-भटके नाम
मेरा आ जाता है
जब मेरा कोई लिखा हुआ गीत घर में
मिल जाता है
जब सूरज के जगने से पहले फोन मेरा
घर जाता है
पापा कितना खुश होते हैं...
मेरा आ जाता है
जब मेरा कोई लिखा हुआ गीत घर में
मिल जाता है
जब सूरज के जगने से पहले फोन मेरा
घर जाता है
पापा कितना खुश होते हैं...
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जिसे अपना नहीं बस दूसरों का दर्द होगा ...
किसी उजड़े हुए दिल का गुबारो-गर्द होगा
सुना है आज मौसम वादियों में सर्द होगा
मेरी आँखों में जो सपना सुनहरी दे गया है
गुज़रते वक़्त का कोई मेरा हमदर्द होगा...
सुना है आज मौसम वादियों में सर्द होगा
मेरी आँखों में जो सपना सुनहरी दे गया है
गुज़रते वक़्त का कोई मेरा हमदर्द होगा...
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जब से मिले हो तुम मुझे,
जीवन ये पावन हो गया है!
अँधियार सारा मिट गया,
नफरत मिटी मन से मेरे,
अपना- सा अब संसार है...
डॉ योगेन्द्र नाथ शर्मा ‘अरुण’
जब से मिले हो तुम मुझे,
जीवन ये पावन हो गया है!
अँधियार सारा मिट गया,
नफरत मिटी मन से मेरे,
अपना- सा अब संसार है...
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सुखी जीवन की सबसे बड़ी आवश्यकता है- स्वस्थ शरीर ! और हो भी क्यों न, स्वास्थ्य के साथ ही सभी सुख जुड़े हुए हैं। जीवन सुखमय बना रहे-यही प्रयत्न हर क्षण होना चाहिए। हम स्वस्थ हैं तो कठिनाई भी सरलता से हल हो जाएगी। इसके विपरीत स्वस्थ न होने पर बड़ा सुख भी छोटा ही लगता है, इसलिए प्रत्येक व्यक्ति का यह नैतिक कर्त्तव्य है कि अपने को बीमारी से दूर रखे, दूसरों को समय देने के साथ-साथ अपने-आपको भी समय दे। अच्छे स्वास्थ्य के तीन लक्षण हैं—अच्छी नींद, अच्छी भूख, अच्छा पसीना...
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjEoqNgHHCeFez5n-QQsV-sbVy7LpcDeE3R9G0siJFTR41hR6b1MCHHnbceO7csz8MEY48tLx9pgoK0ZhnpuL2IMeeF3HyDrw7GlRCr6A3ijSktJaRui9hRHp80spdmK48zRNxFcqiOR3w/s400/Yoga+Day.jpg)
अरुणवीर सिंह
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjEoqNgHHCeFez5n-QQsV-sbVy7LpcDeE3R9G0siJFTR41hR6b1MCHHnbceO7csz8MEY48tLx9pgoK0ZhnpuL2IMeeF3HyDrw7GlRCr6A3ijSktJaRui9hRHp80spdmK48zRNxFcqiOR3w/s400/Yoga+Day.jpg)
अरुणवीर सिंह
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![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjlOKO7entkj6gJICQ3DLnqYPgmMk7ydOE-z2As-DWQdTepNZAOJdDJzlICsM10cRt-om3gxHvPtheuTxP6gSmWhUcVXo3vYvc5o7Me7Ypc0VC7JADsyDuYTqauToE5fNe-tVIRPl9m3vs_/s320/1.jpg)
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दयावान , यजमान,
इस धरा को दो ,
ज्ञान का पुनर्दान.
विश्व में ,
मानव की अमानुषिकता से व्यथित,
ज्ञान लुप्त हो गया है,
कौन करता है आह्वान?
प्राण अपरिचित हो गए हैं,
प्रतिबिंबित होती है केवल शान...
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