मित्रों
बृहस्पतिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
--
संवत्सर गणना
संवत्सर ‘वर्ष’ के लिए प्रयुक्त होने वाला संस्कृत उदभूत हिन्दी शब्द है । कुल 60 संवत्सर होते हैं । जिनके पृथक पृथक नाम हैं । जब 60 संवत्सरों का चक्र पूरा होता है । तब पुनः पहले संवत्सर से आरंभ होता है । चूँकि ये संवत्सर बृहस्पति की सूर्य की परिधि में गति के आधार पर बने हैं । अतः कभी कभी चक्र में से 1 संवत्सर कम भी हो जाया करता है । क्योंकि बृहस्पति का परिधि काल 12 महीनों से जरा कम है । ये 60 संवत्सर 20-20 के 3 समूहों में बंटे हैं । पहले 20 ‘प्रभव से अव्यय तक’ ब्रह्मा के अधीन हैं । अगले बीस 20 ‘सर्वजीत से से पराभव तक’ विष्णु के अधीन हैं । और अन्तिम 20 ‘प्ल्वंग से क्षय तक’ शिव के अधीन हैं...
rajeev kumar Kulshrestha
--
गीत "हो गया मौसम सुहाना"
आज नभ पर बादलों का है ठिकाना।
हो गया अपने यहाँ मौसम सुहाना।।
कल तलक लू चल रही थी,
धूप से भू जल रही थी,
आज हैं रिमझिम फुहारें,
लौट आयी हैं बहारें,
बुन लिया है पंछियों ने आशियाना...
--
--
कैराना से बाहर
बहुत फैला हुआ है
किराना घराना
आज से लगभग दस वर्ष पहले कथाकार योगेन्द्रत आहूजा की कहानी 'मर्सिया' पहल में प्रकाशित हुई। गुजरात की नृशंसता के बाद हिंसा का ताडण्व रचती सांप्रदायिकता को कहानी में प्रश्नााकिंत किया गया है। मेरे निगाह में सांप्रदायिकता के प्रतिरोध में रची गई वह हिन्दी की महत्वपूर्ण कहानी है। शास्स्त्रीय संगीत की रवायत का ख्या ल करते हुए पीपे परात और तसलों के संगीत भरा कोरस एक बिम्ब कहानी में उभरता है। योगेन्द्र आहूजा की वह कहानी हर उस वक्तत याद की जाने वाली कहानी है जब जब नृशंस्ताअों की ऐसी घटनायें या उनसे जुड़ी बातें सामने हों। हाल ही में एक वेब पेज (बीबीसी हिंदी डॉट कॉम) पर नजर आया, हमारे दौर के ...
--
--
--
नाचता मयूर क्यूं
नाचते मयूर की
मदमस्त हो गई चाल
फिर नयनों से बहते अश्रु से
वह हुआ बेहाल
शायद अपने कुरूप पैर
देख हुआ यह हाल...
Akanksha पर Asha Saxena
--
--
--
कुर्सी
एक कहानी सुनाता हूँ जो आँखों की बयानी है,
वो कुर्सी जो बैठी है हुकूमत की निशानी है।
राजा की तरह उसपर जो इंसान है बैठा,
गलतफहमी में रहता है कि भगवान है बैठा...
--
क्या हर किसी के लिए जरूरी है योग ?
कल सारे देश में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया। कहते हैं कि योग करने से शरीर, मन और मष्तिष्क स्वस्थ रहते हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या योग करना हर किसी के लिए फायदेमंद है ? या कुछ यू कहे की कौन सा योग किस के लिए सही है और कौन सा गलत? इस बात का ध्यान रखना बहुत जरूरी है...
--
जब मैं होती हूँ अकेली ...!!!
तुम्हारे साथ हो कर भी, जब मैं होती हूँ अकेली ...
फिर शब्द भी बयाँ नही कर पाते, वो टीस दिल की....
--
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर
केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।