मित्रों
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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प्यारे शिरीष
रंग बिखरे, बाग निखरे, खिल उठे प्यारे शिरीष।
गाँव तक चलकर शहर, सब देखने निकले शिरीष।
खुशनसीबी है कि हैं, परिजन मेरे भी गाँव में
देके न्यौता ग्रीष्म में, मुझको बुला लेते शिरीष...
कल्पना रामानी
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जिससे लगा करता हटा नहीं करता।
उसको कोई कहे तो भला क्या कहे
जो प्यार से प्यार अदा नहीं करता...
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नेता होते ही सुबह से शाम तक उद्घाटन आदि करने का कार्यक्रम प्रारम्भ हो जाता है या लोगो की सिफारिशों का कार्यक्रम उनका ताँता कुर्सी इतनी अहम हो जाती है कि अहम का विशाल तम्बू उनके चारो ओरे बन जाता है और वे सड़क से उठकर सबसे उच्च पद पर आसीन हो जाते हैं वह सब किसके कारण यह हम जन साधारण की वजह से कि अपने चेहरे चमकाने के लिए उनसे जान पहचान है यह बताने के लिए उनसे ही उद्घाटन करवाएंगे तो क्या हम नेता इसीलिए बनाते है सुबह से रत तक कार्यक्रमों मैं भाग लेंगे तो जनता का काम कब करेंगे नेता बनते ही घर की टूटी ईंट सोने की हो जाती है...
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बरुण सखाजी
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हम नभ के आज़ाद परिंदे
पिंजरे में न रह पाएँगे,
श्रम से दाना चुगने वालों को
कनक निवाले न लुभा पाएँगे।
रहने दो मदमस्त हमें
जीवन की उलझनों से दूर,
जी लेने दो जीवन अपना
आजाद, खुशियों से भरपूर...
ANTARDHWANI पर मीतू मिश्रा
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फेसबुक क्या है, क्या-क्या है उपयोग,
अकाउंट कैसे बनायें ?
क्या आप अभी तक यह सोच रहे है, कि ये फेसबुक क्या चीज है, इसके क्या क्या उपयोग है या फेसबुक पर अकाउंट बनाने और इसके बारे में अधिक जानकारी हासिल करना चाहते है, तो पढ़ते रहिये। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); फेसबुक क्या है? फेसबुक को आम भाषा में "सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट" कहा जाता है...
Kheteshwar Boravat
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नियत न मेरी ख़राब कर दे
तमाम नाजो नफासतों से मिरा गुलिस्तां तबाह कर दे ।
रहम अगर कुछ बचा हो दिल में इधर भी थोड़ी निगाह कर दे ।।
अजीब चिलमन की दास्ताँ है नजर ने भेजा सलाम तुझको ।
नकाब इतना उठा के मत चल नियत न मेरी गुनाह कर दे...
तीखी कलम से पर
Naveen Mani Tripathi
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फिर उठता हूँ गर गिरता हूँ
फिर चलता हूँ गर रुकता हूँ मैं तपता हूँ मैं गलता हूँ
किस्मत कह लो, सूरज कह लो फिर उगता हूँ
गर ढलता हूँ उजियारे सब तुमही रख लो अंधियारे में
मैं रहता हूँ जुगनू कह लो, दीपक कह लो फिर जलता हूँ ...
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मूरख का मुख बंब है ,
बोले बचन भभँग ,
दारु का मुँह बंद है (चुप्प )है ,
गुरु रोगन ब्यापे अंग।
कबीरा खडा़ बाज़ार में
बोले बचन भभँग ,
दारु का मुँह बंद है (चुप्प )है ,
गुरु रोगन ब्यापे अंग।
कबीरा खडा़ बाज़ार में
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चलें गाँव की ओर
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आँखों की दोनों पलकों के किनारों पर बालों (बरौनियों) की जड़ों में जो छोटी-छोटी फुंसियां निकलती हैं,उसे ही अंजनहारी,गुहेरी या नरसराय भी कहा जाता है | कभी-कभी तो यह मवाद के रूप में बहकर निकल जाती है पर कभी-कभी बहुत ज़्यादा दर्द देती है और एक के बाद एक निकलती रहती हैं | चिकित्सकों के मत मे विटामिन A और D की कमी से अंजनहारी निकलती है |
कभी-कभी कब्ज से पीड़ित रहने कारण भी अंजनहारी निकल सकती हैं |
अंजनहारी के कारण...
अंजनहारी के कारण...
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भारत में आप जातिवादी (या कहें, भेद्भावी) न होकर भी जाति के होने से इंकार नहीं कर सकते| जाति व्यवस्था को कर्म आधारित व्यवस्था से जन्म आधारित में परिवर्तित हुआ माना जाता है, और आज यह भेदभाव के आधार के अलावा आदतों, परम्पराओं, भोजन, रिहायश और वंशानुगत बीमारियों का प्रतीक है| इनमें जाति विशेषों से सम्बंधित कई बातें दुर्भावना से भी प्रेरित मानी जाती हैं| परन्तु, किसी भी व्यवस्था के प्रारंभ होने के समय उसके कुछ न कुछ कारण रहे होते हैं, भले ही बाद में वह सही साबित हो या गलत| मेरे मन में एक प्रश्न हमेशा रहा कि कर्म आधारित जाति व्यवस्था में जातियों के श्रेणीक्रम का क्या मापदंड था और क्यों था...
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...नेताओं की बात पर, करना मत विश्वास।
वाह-वाही के वास्ते, चमचे सबके पास।१९।
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जो चमचे फौलाद के, वो हैं धवल सफेद।
उनकी तो हर बात में, भरे हुए हैं भेद।२०।
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अच्छी सूरत देखकर, मत होना अनुरक्त।
जग के मायाजाल से, मन को करो विरक्त।२१।
वाह-वाही के वास्ते, चमचे सबके पास।१९।
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जो चमचे फौलाद के, वो हैं धवल सफेद।
उनकी तो हर बात में, भरे हुए हैं भेद।२०।
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अच्छी सूरत देखकर, मत होना अनुरक्त।
जग के मायाजाल से, मन को करो विरक्त।२१।
उम्दा लिखावट ऐसी लाइने बहुत कम पढने के लिए मिलती है धन्यवाद् Aadharseloan (आप सभी के लिए बेहतरीन आर्टिकल संग्रह जिसकी मदद से ले सकते है आप घर बैठे लोन) Aadharseloan
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