मित्रों
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
--
--
--
--
--
रहा आयते पूछ, सुना पाये ना भोले
चिमटा अब लाता नहीं, माँ के लिए हमीद।
ऑटोमैटिक गन चला, रहा मनाता ईद।
रहा मनाता ईद, खरीदे थे हथगोले।
रहा आयते पूछ, सुना पाये ना भोले।
देता गर्दन काट, उन्हें झट देता निपटा।
ईदगाह में जाय, ख़रीदे काहे चिमटा।।
--
जिसे देखिये चला रहा है सारे तीर अँधेरे में
Madan Mohan Saxena
--
आस भरी तसल्लियाँ
अर्पित ‘सुमन’ पर सु-मन
(Suman Kapoor)
--
--
मैं स्त्री हूँ...
मुझे जिंदा रखना उतना ही सहज है जितना सहज मुझे गर्भ में मार दिया जाना
मेरा विकल्प उतना ही सरल है जितना सरल
रंग उड़े वस्त्र को हटा कर नया परिधान खरीदना
मैं उतनी ही बेज़रूरी हूँ
जिसके बिना दुनिया अपूर्ण नहीं मानी जाती
जबकि इस सत्य से इंकार नहीं कि
पुरुष को जन्म मैं ही दूँगी
और हर पुरुष अपने लिए स्त्री नहीं
धन के साथ मेनका चाहता है...
मेरा विकल्प उतना ही सरल है जितना सरल
रंग उड़े वस्त्र को हटा कर नया परिधान खरीदना
मैं उतनी ही बेज़रूरी हूँ
जिसके बिना दुनिया अपूर्ण नहीं मानी जाती
जबकि इस सत्य से इंकार नहीं कि
पुरुष को जन्म मैं ही दूँगी
और हर पुरुष अपने लिए स्त्री नहीं
धन के साथ मेनका चाहता है...
--
--
--
ग़ज़ल
पहले पहल ही दिल दुखता है जब चीज़ कोई खो जाती है
फिर हमको खोते रहने की, इक आदत सी हो जाती है
पानी में फेंका न करो अपनी किसी इबादत को
पहले सिक्के खोते हैं, और, फिर दुआ खो जाती है...
Vandana Singh
--
--
जे रत्तु लगे कापड़ा ,जामा होइ पलीत ,
जे रत्तु पीवी मानसा ,तिन का क्यों निर्मल चीत।
Virendra Kumar Sharma
--
--
यूँ ही चलते चलते ....
दो लाइन (१)
नजर तुझसे हटती नहीं नजारों का क्या करूँ
तुझसे ही आबाद जिंदगी बहारों का करूँ...
sunita agarwal
--
अशेष विस्मृत हो गए....
मित्रों !
एक पत्र के संपादक जी ने
एक काव्य सृजन हेतु आग्रह किया विषय था स्मृति ।
मैंने कहा - कुछ स्मृतियों में है अशेष विस्मृत हो गए,
छाप सको तो छाप !
आप का क्या विमर्श है यह आप पर छोड़ता हूँ...
udaya veer singh
--
--
--
अंतर्द्वंद........
संध्या शर्मा
क्या बताओगे आने वाली पीढ़ी को कि
सिर्फ दिमाग लेकर ही पैदा हुआ था
आज का इंसान
दिल नहीं था इसके पास...
--
चोर
था लाचार आदतों से
था रोग हाथ की सफाई का
जब राज खुलने लगा
बाजार चर्चा का गर्म हुआ
था आज तक चोर गुम नाम
सब के समक्ष आ ही गया
वह सरे आम बदनाम हो गया
नजरें न मिला पाया सब से
जीना उसका हराम हो गया
था रोग हाथ की सफाई का
जब राज खुलने लगा
बाजार चर्चा का गर्म हुआ
था आज तक चोर गुम नाम
सब के समक्ष आ ही गया
वह सरे आम बदनाम हो गया
नजरें न मिला पाया सब से
जीना उसका हराम हो गया
--
....... फिर से नर्सरी में पढ़ाई शुरू करते है।
फुरसत की ईकाई दहाई शुरू करते है
फिर से नर्सरी में पढ़ाई शुरू करते है।
एक ही कमरे में बैठकर गुथमगुत्था
भाईयों बहनों से लड़ाई शुरू करते है...
Vikram Pratap Singh Sachan
--
--
--
सुनो तो
सुनो तो काली घनेरी बूँद से पूछो क्यों रो दिए
इंसान हर तरफ मिला इंसान खो दिए ।
मजहब नहीं सीखता है गर आपस में रखना बैर
फिर क्यों उसी के नाम पर इतने कतल किये...
कविता मंच पर
Pushpendra Gangwar
--
--
काली घनेरी बूँद से पूछो क्यों रो दिए
इंसान हर तरफ मिला इंसान खो दिए ।
वो तू ही था हर उस जगह, जिसको नज़र किये...
मंदिर हो या मस्जिद कहीं कलीसा सभी जगह
--
गोखरू किडनी फेल की प्रमुख औषधि है | खराब किडनी को ठीक करने के लिए मशहूर दवा है|गोखरू की पहचान शुरआत मे यूरोप कन्ट्री से हुई पहले इसका नाम सपोर्टिव किड्नी मेयीडियन था बाद मे यह दवा अमेरिका ऑस्ट्रेलिया अफ्रीका साउथ एशिया मे इसका प्रयोग चालू हुआ इसके सैकड़ों नाम है एरिया वाइज़ नाम इसका अलग अलग है यह किड्नी के लिए राम बाण की औषधि है गोखरू बंद किड्नी को चालू करता है किड्नी मे स्टोन को टुकड़े टुकड़े करके पेशाब के रास्ते बाहर निकल देता है क्रिएटिन यूरिया को बहुत ही झटके से जल्दी नीचे लाता है पेशाब मे जलन हो पेशाब ना होती है इसके लिए भी यह काम करता है इसके बारे मे आयुर्वेद के जनक आचार्य श्रुशूत ने भी लिखा इसके अलावा कई विद्वानो ने इसके बारे मे लिखा है इसका प्रयोग हर्बल दवाओं मे भी होता है आयुर्वेद की दवाओं मे भी होता है यह स्त्रियो के बंधत्व मे तथा पुरुषों के नपुंसकता मे भी बहुत उपयोगी होता है इसके बारे मे सारी जानकरी गूगल पर भी उपलब्ध है गूगल पर सर्च करने के लिए मेडिकल यूज ऑफ गोखरू लिख दीजिए! इस दवा का सेवन हमारे जानकरी मे कई लोगो ने किया है जिनका क्रिएटिन 12.5 तक था उन्हे भी 15 दिनो मे 4, 5 तक आ गया इस लिए जिन लोगो को किडनी की प्राब्लम है वो इसका सेवन करे बहुत ही फायदा होता है...
--
...प्याज के पकौड़े और चाय की चुस्कियों के बीच अचानक माहौल नॉस्टैल्जिक हो गया. एक फोटो एलबम को पलटते हुए आशी बार-बार कभी हम दोनों तो कभी उस एलबम के फोटो को देख रही थी.
उसने अपनी मम्मी से कहा-
तुम पहले कितनी सुंदर थी न.
सब चुप थे...
थोड़ी देर बाद...
पापा, तुम पहले अजीब लगते थे...!
अब अच्छे लगते हो.
मैंने कहा- मतलब?
देखो, कहते हुए उसने एलबम मुझे दे दिया. दरअसल, वो जो एलबम देख रही थी, उसमें मेरे कॉलेज के समय की तसवीरें थीं. कुछ शादी के तुरंत बाद की भी. एलबम पलटते हुए मैं भी पुरानी यादों में खो गया. बाहर बारिश हो रही थी. कभी धीमी, कभी तेज. रंग-बिरंगी तितलियों का एक समुह खिड़की के रास्ते कमरे में दाखिल हो चुका था. आशी तितलियों को पकड़ने की चेष्टा में मग्न हो गयी.
उसने अपनी मम्मी से कहा-
तुम पहले कितनी सुंदर थी न.
सब चुप थे...
थोड़ी देर बाद...
पापा, तुम पहले अजीब लगते थे...!
अब अच्छे लगते हो.
मैंने कहा- मतलब?
देखो, कहते हुए उसने एलबम मुझे दे दिया. दरअसल, वो जो एलबम देख रही थी, उसमें मेरे कॉलेज के समय की तसवीरें थीं. कुछ शादी के तुरंत बाद की भी. एलबम पलटते हुए मैं भी पुरानी यादों में खो गया. बाहर बारिश हो रही थी. कभी धीमी, कभी तेज. रंग-बिरंगी तितलियों का एक समुह खिड़की के रास्ते कमरे में दाखिल हो चुका था. आशी तितलियों को पकड़ने की चेष्टा में मग्न हो गयी.
अ-शब्द
--
गीत,
"नभ में बदली काली लेकर आया है चौमास"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
खेतों में हरियाली लेकर आया है चौमास!
जीवन में खुशहाली लेकर आया है चौमास!!
सन-सन, सन-सन चलती पुरुवा, जिउरा लेत हिलोर,
इन्द्रधनुष के रंग देखकर, नाचे मनका मोर,
पकवानों की थाली लेकर आया है चौमास!
जीवन में खुशहाली लेकर आया है चौमास...
जीवन में खुशहाली लेकर आया है चौमास!!
सन-सन, सन-सन चलती पुरुवा, जिउरा लेत हिलोर,
इन्द्रधनुष के रंग देखकर, नाचे मनका मोर,
पकवानों की थाली लेकर आया है चौमास!
जीवन में खुशहाली लेकर आया है चौमास...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर
केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।