बूढ़ा-खूसट मर गया, घर वाले बेचैन।
चलो वसीयत देख लें, क्यों काली हो रैन।
है कमीनी आदमी की जात रे।
आदमी की दिख गई औकात रे।।
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मुझे छोड़ न जाना |
Asha Saxena
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रखे परस्पर ख्याल, नजर फिर कौन लगाता
जल के जल रक्षा करे, जले नहीं तब दुग्ध। गिरे अग्नि पर उबलकर, दुग्ध कर रहा मुग्ध। दुग्ध कर रहा मुग्ध, मूल्य जल का बढ़ जाता। रखे परस्पर ख्याल, नजर फिर कौन लगाता। आई बीच खटास, दूध फट जाय उबल के। जल भी मिटता जाय, आग पर रविकर जल के।। |
अब डिग्री क्यों नहीं पूछते
neelam Mahendra
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क्षणिकाएं 58 (791-800)
Ish Mishra
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बनो ऐसे कि मंजिल को हो इन्तजार तुम्हारे पहुंचने का...
विशाल चर्चित
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मूर्ख दुनिया सड़ा आटा खाती है
smt. Ajit Gupta
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'इन्द्रप्रस्थ' ... मेरी नज़र से
vandana gupta
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Untitled
Anil Kumar 'Aksh'
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Untitled
Satyendra Gupta
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महफ़ूज़ रहे मुल्क हिफ़ाज़त की बात कर
Naveen Mani Tripathi
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विमलमित्र और चक्रधरपुर
रश्मि शर्मा
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कुंभ दर्शन की अभिलाषा लिएउज्जैन की ओर
ब्लॉ.ललित शर्मा
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बता फिर तेरी क़ीमत और क्या है
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
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गीत"सितारों में भरा तम है"(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
बहारों में नहीं दम है, नज़ारों में भरा ग़म है
फिजाओं में नहीं दम हैं, सितारों में भरा तम है
हसीं दुनिया बनाने की, हमें फुरसत नहीं मिलती।
नहीं आभास रिश्तों का, नहीं एहसास नातों का
हमें तो आदमी की है, नहीं विश्वास बातों का
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