कुछ कह लेता कुछ सुन लेता, गम के कुछ गाने गा लेता
रविकर
यादों का साथ अकेला पा, गम-सरगम सरस बना लेता ।
कुछ कह लेता कुछ सुन लेता, गम के कुछ गाने गा लेता -
खुशियाँ कुछ चुन-चुन रख लेता, कुछ हँस लेता शरमा लेता
तू रहे स्वस्थ खुशहाल सदा, मैं भी कुछ प्रतिफल पा लेता ।।
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शिक्षा पर विमर्श क्यों नहीं?
pramod joshi
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क्या मिला है देश को इस संविधान से -दिगंबर नासवा
इसलिए की गिर न पड़ें आसमान से
घर में छुप गए हैं परिंदे उड़ान से
क्या हुआ जो भूख सताती है रात भर
लोकतंत्र तो है खड़ा इत्मिनान से...
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समीक्षा"मुखर होता मौन-ग़ज़ल संग्रह"(समीक्षक-डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') |
फिर चले आना [ गजल ]
सरिता भाटिया
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My Poetry
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जब संकट में होते हैं ....
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दर्द की परिभाषा
Dr.J.P.Tiwari
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हम्पी के रनिवास काकमल महल एवं सुरक्षा प्रबंध :दक्षिण यात्र 16
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मौसम से अनुबंध
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डी.एन.ए. टेस्ट...आभा नौलखा
yashoda Agrawal
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कार्टून :-आओ सफाई करें (भाग -1)
Kajal Kumar
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व्यञ्जनावली"चवर्ग”(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') |
अकविता"आजादी का तोहफा"(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
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