मित्रों
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
--
--
बेटी
बेटी मेरे घर की शोभा, आँगन में तुलसी सी
घर बाहर उजियारा करती ,दीपशिखा की लौ सी
हर क्षेत्र में हो अग्रणी, बिंदी सी सजती मस्तक पर
जहां कहीं वह कदम रखती, कोई नहीं दूसरी उससी...
--
इसे कहते है सच्ची समाजसेवा!
आदित्य तिवारी, एक ऐसे व्यक्ति है,
जो न तो बड़े नेता है और न ही कोई बड़े अधिकारी।
फिर भी उन्होंंने समाजसेवा का उत्कृष्ट कार्य किया है...
--
--
मन बावला है।।
मन बावला है, मन बावला है
सोचे ये कुछ भी अजब मामला है।।
मुझको ख़बर है कि ख़्वाहिश हुई है
कुछ तो मोहब्बत सी साज़िश हुई है
कोई है गुम-सुम ख़्यालों मे ख़ुद के
लगता है चाहत की बारिश हुई है...
मन बावला है,मन बावला है
सोचे ये कुछ भी अजब मामला है...
--
अर्थ बोलते हैं जब !
शब्द प्रेरणा होते हैं
जब मन स्वीकारता है उन्हें
तो अर्थ बोलते हैं उनके
आरम्भ होती हैं पंक्तियाँ
जन्म लेती है कविता कितनी बार
इन शब्द और अर्थों के साये में ...
--
टेस्ट पेपर
आज एक टेस्ट पेपर आपके लिए---
बताईये ये लाइने किन लोगों की
या उनके ब्लॉग की पहचान बताती है?...
(सही उत्तर कल की पोस्ट में चेक कीजिएगा )
(सही उत्तर कल की पोस्ट में चेक कीजिएगा )
मेरे मन की पर अर्चना चावजी
Archana Chaoji
--
नाशपाती का पेड़
बहुत समय पहले की बात है , सुदूर दक्षिण में किसी प्रतापी राजा का राज्य था . राजा के तीन पुत्र थे, एकदिन राजा के मन में आया कि पुत्रों को को कुछ ऐसी शिक्षा दी जाये कि समय आने पर वो राज-काज सम्भालसकें.
इसी विचार के साथ राजा ने सभी पुत्रों को दरबार में बुलाया और बोला , “ पुत्रों , हमारे राज्य में नाशपाती काकोई वृक्ष नहीं है , मैं चाहता हूँ तुम सब चार-चार महीने के अंतराल पर इस वृक्ष की तलाश में जाओ और पतालगाओ कि वो कैसा होता है...
--
क़दम दर क़दम
अंततः सुबह के साथ ही
वन्य नदी का उफान भी उतर गया,
सपनों की थी रहगुज़र या दीवानापन मेरा,
छू कर अंतरतम, वो जलतरंग सा अहसास,
न जाने किधर गया...
--
--
--
मध्यप्रदेश में सफेद बाघ उद्यान
लम्बे समय के इंतजार और प्रत्याशाओं के बाद मुकुंदपुर व्हाइट टाइगर सफारी पार्क अपने जीवंत रूप को प्राप्त कर जनता के लिए नियमित खुल गया है, इससे यह बात साफ हो गई है कि मध्यप्रदेश की सरकार सिर्फ विकास की बात नहीं करती, उसका ध्यान जैव विविधता और वन्य प्राणी संरक्षण तथा उनके विकास पर भी है। कहा जा सकता है कि इस मायने में यहां सफेद बाघ उद्यान का निर्माण तथा उसके विकास की सतत् प्रक्रिया का होना अपना कुछ विशेष महत्व रखता है...
--
अमरनाथ को
केदारनाथ बनने मत दीजिए
बाबा बर्फानी यानी बाबा अमरनाथ लाखों हिन्दुओं की श्रद्धा के केन्द्र रहे हैं और भारत में श्रद्धा पर सवाल खड़े करना बेहद खतरनाक है। लेकिन इन दिनों मैं बाबा अमरनाथ की यात्रा को बड़े गौर से देख रहा हूं। 2 जुलाई को जिस दिन यात्रा की शुरूआत हुई थी, नौ हज़ार यात्री थे, और श्रद्धालुओं की यह संख्या दूसरे ही दिन बढ़कर सोलह हजार हो गई। जम्मू-कश्मीर के जिस हिस्से में बाबा अमरनाथ की पवित्र गुफा है, उसे पारिस्थितिकी के लिहाज़ से बेहद संवेदनशील माना जाता है। लोगों की बढ़ती तादाद से उस इलाके में, उस ऊंचाई पर सामान्य तापमान में बढोत्तरी हो जाती है। और बर्फ से बनने वाला शिवलिंग कई दफा पूरा नहीं बन पाता...
--
औरतें...
मंजू मिश्रा
औरतें
पहले भी दोयम थीं
आज भी दोयम ही हैं
पढ़ी लिखी हों
या बेपढ़ी...
पहले भी दोयम थीं
आज भी दोयम ही हैं
पढ़ी लिखी हों
या बेपढ़ी...
मेरी धरोहर पर yashoda Agrawal
--
सत्ता ही लोकतंत्र है।
संसदीय लोकतंत्र का मतलब ही सत्ता समीकरण हो गया है।
क्या कांग्रेस, क्या बीजेपी, क्या क्षेत्रीय स्तर के राजनीतिक दल,
सब एक से नज़र आते ...
संसदीय लोकतंत्र का मतलब ही सत्ता समीकरण हो गया है।
क्या कांग्रेस, क्या बीजेपी, क्या क्षेत्रीय स्तर के राजनीतिक दल,
सब एक से नज़र आते ...
--
--
कुछ हम चले कुछ तुम
अपनी गृहस्थी को कुछ इस तरह
बचा लिया कभी
आँखें दिखा दी कभी
सर झुका लिया आपसी नाराज़गी को
लम्बा चलने ही न दिया कभी...
अपनी गृहस्थी को कुछ इस तरह
बचा लिया कभी
आँखें दिखा दी कभी
सर झुका लिया आपसी नाराज़गी को
लम्बा चलने ही न दिया कभी...
--
कह दूँगा सावन की स्याह घटाओं ने
उलझाया पर मुझको तेरी ज़ुल्फ़ों ने
शह्र की गलियों में है जो अफ़रातफ़री
आज शैर की ठानी है दिल वालों ने...
--
झनन झनन बारिश की बूँद सी , मैं बरसत जाऊँ ।
पैर में बाँध के पाजनियाँ घुघरू ,ठुमक – ठुमकत जाऊँ ।।
हे प्रभो बारिश दे हर बार ऐसी , हो जाए धरा हरी-भरी ।
अंग -अंग सब मेरा भीग जाए, ऐसी में फिर हुलसत जाऊँ ।।
प्राचार्य
शान्ति निकेतन कॉलेज ऑफ बिज़नेस
मैनेजमेन्ट एण्ड कम्प्यूटर साइन्स आगरा।
शान्ति निकेतन कॉलेज ऑफ बिज़नेस
मैनेजमेन्ट एण्ड कम्प्यूटर साइन्स आगरा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर
केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।