गीत"रिश्ते-नाते प्यार के"(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
ढंग निराले होते जग में, मिले जुले परिवार के।
देते हैं आनन्द अनोखा, रिश्ते-नाते प्यार के।।
चमन एक हो किन्तु वहाँ पर, रंग-विरंगे फूल खिलें,
मधु से मिश्रित वाणी बोलें, इक दूजे से लोग मिलें,
ग्रीष्म-शीत-बरसात सुनाये, नगमें सुखद बहार के।
देते हैं आनन्द अनोखा, रिश्ते-नाते प्यार के।।
पंचम सुर में गाये कोयल, कलिका खुश होकर चहके,
नाती-पोतों की खुशबू से, घर की फुलवारी महके,
माटी के कण-कण में गूँजें, अभिनव राग सितार के।
देते हैं आनन्द अनोखा, रिश्ते-नाते प्यार के...
उच्चारण पर रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
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खाली पड़ा कैनवास --शिवनाथ कुमार :)
उस खाली पड़े कैनवास पर
हर रोज सोचता हूँ एक तस्वीर
उकेरूँ कुछ ऐसे रंग भरूँ
जो अद्वितीय हो
पर कौन सी तस्वीर बनाऊँ
जो हो अलग सबसे हटकर...
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सावन बहका है...........रजनी मोरवाल
yashoda Agrawal
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मुफ़लिसी पर रोने वालों के जवाब में -
Gopesh Jaswal
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