शादी की तीसवीं वर्षगाँठ
बत्ती सी कौंधी सुबह, जब देखी यह टैग।
अधिक देखेंगई खुमारी सब उतर, आधा दर्जन पैग। आधा दर्जन पैग, मुबारक वर्षगाँठ हो। तीस साल व्यतीत, हमारे और ठाठ हों। रहो स्वस्थ सानन्द, लगे कुछ यहाँ कमी सी।... |
गीत"पर्वत पर चढ़ना होता आसान नहीं"(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
दुर्गम पथरीला पथ है, आगे कोई सोपान नहीं।
मैदानों से पर्वत पर, चढ़ना होता आसान नहीं।।
रहते हैं आराध्य देव, उत्तुंग शैल के शिखरों में,
कैसे दर्शन करूँ आपके शक्ति नहीं है पैरों में,
चरणामृत मिल जाए मुझे, ऐसा मेरा शुभदान नहीं।
मैदानों से पर्वत पर, चढ़ना होता आसान नहीं।।
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