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बुधवार, नवंबर 02, 2016

*नारी है या लाचारी* (चर्चा मंच अकं-2514)

मित्रों 
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
सभी भाइयों को 
भइयादूज की हार्दिक शुभकामनाएँ!

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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दोहे  

"भइया-दोयज पर्व" 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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यज्ञ-हवन करके बहन, माँग रही वरदान।
भइया का यमदेवता, करना शुभ-कल्याण।।
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भाई बहन के प्यार का, भइया-दोयज पर्व।
अपने-अपने भाई पर, हर बहना को गर्व।। 
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चलो हो गयी दीवाली 

दीवाली से पहले सोशल मीडिया पर चीनी सामान का बहिष्कार की बातें करने बाले काफी लोग दीवाली पर पहले से रखी लाइट्स का इस्तेमाल करते दिखे ऑनलाइन शॉपिंग पर चीनी सामान खरीदने का लुत्फ़ लेते मिले भले ही अपने नाते रश्तेदारों और पड़ोसियों से दिवाली पर बात न की हो इस बार भी फेसबुक ट्विटर व्हाटप्पस पर खूब मेल लिखे जिसके पास जितना पैसा था या कहिये जितना दिखाबा कर सकता था दिवाली के दिन उतनी अधिक खऱीदारी की भले जरुरत हो या ना हो पर्याबरण की चिंता में रात दिन एक करने बाले भी दीवाली के दिन आकाश को धुएं से भरने में भी पीछे नहीं रहे ... 
Madan Mohan Saxena 
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684 

चौदह वर्षों बाद राम जी,लौट अवध में आए थे
अवधवासियों ने खुश होकर ,घी के दीप जलाए थे ।

कार्तिक की अमवस्या का दिन,पावन बड़ी दिवाली है
कहते इस दिन घर आते ये ,धन वैभव खुशहाली है ।
इस दिन हरि ने नरसिंह बनकर ,सारे पाप मिटाए थे
अवधवासियों ने खुश होकर ,घी के दीप जलाए थे... 
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मिटटी के दिये 

मिटटी से मेरा जनम हुआ, मिटटी में मिल जाता हूँ
छोटी सी है जिंदगी मगर, जगत को जगमगाता हूँ |
दीवाली हो या होली हो, प्रात:काल या सबेरा
जब भी जलाया मुझे तुमने, किया दूर सब अन्धेरा |
जलना ही मेरी नियति बनी, जलकर प्रकाश देता हूँ
मिटटी से मेरा जनम हुआ, मिटटी में मिल जाता हूँ
छोटी सी है जिंदगी मगर, जगत को जगमगाता हूँ... 
कालीपद "प्रसाद" 
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शीर्षकहीन 

नारी का होना नारी जैसे सबसे बड़ी लाचारी है । 
मानवता तो ख़त्म हो रही दानवता सब पर भारी है... 
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विवाद के बाद अखिलेश 

सारे देश के राजनीतिक पंडितों को यकीन है कि उत्तर प्रदेश में सत्ता-विरोधी लहर होगी और पिछले दो दशकों से ज्यादा वक्त से वैकल्पिक रूप से सत्ता में आ रहे सपा-बसपा के मामले में इस बार बीजेपी का पलड़ा पिछले विधानसभा चुनावों के मुकाबले ज्यादा मजबूत होगा। कई जानकार इस दफा होने वाले चुनावों में अस्पष्ट जनादेश मिलने के आसार भी व्यक्त कर रहे थे... 
गुस्ताख़ पर Manjit Thakur 
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जग घुमिया थारे जैसा न कोई 

एक अरसा हो गया इसी तरह लड़ते-लड़ते- जब भी रिश्तेदारों /मित्रों से मिलना होता है - एक वाक्य खुद की तारीफ़ में सुनती हूँ - बहुत हिम्मती हूँ। .... सचमुच बहुत हिम्मत का काम है - अकेले अपने-आप से जूझना..लड़कर जीतना ... और सबसे आसान तरीका होता है जीतने का -खुद को कोई काम में उलझा दो,सिलाई,कढ़ाई,बुनाई,रसोईया फिर चित्रकारी,रंगोली या फोटोग्राफी (आलतू-फालतू की) .. या तो बहुत बहुत बोलो/लिखो /पढ़ो या बिलकुल चुप्पी लगा लो! . अभी वैसा ही मन बना हुआ है ...  
अर्चना चावजी Archana Chaoji 
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एक पैग़ाम वीर जवानों के नाम 

 विशेष आयोजन उरी में आतंकी हमले के बाद भारत के देशवासियों का खून खौल उठा था ,सोये हुए सैनिको को दरिंदों ने मार दिया ,उन शहीदों की शहादत पर भारत की ओर से सर्जिकल स्ट्राइक ने भारतवासियों का ही नहीं ,पूरे सैन्य बल का मनोबल बढ़ाया। देश की सुरक्षा के लिए सीमा पर तैनात सिपाहियों की वीरता पर आज हम सब देशवासियों को गर्व है , 
हम सब सुरक्षित हैं तो उन वीर जवानों के कारण ,
यह पैगाम है उन वीरों के नाम जो अपने घरों से दूर हम सब की रक्षा के लिए सीमा पर तैनात है , 
''हम जानते है ,हर एक सिपाही अपनी मातृ भूमि पर मिटने के लिए 
सौ दुश्मन सिपाहियों के बराबर है... 
Ocean of Bliss पर 
Rekha Joshi 
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3 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया सार्थक चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार !

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर चर्चा । आभार 'उलूक' के सूत्र 'डेमोक्रेसी को समझ इंदिरा सोच भी मत
    पटेल के होते हुए' को आज की चर्चा में स्थान देने के लिये ।

    जवाब देंहटाएं

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