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सोमवार, जुलाई 17, 2017

"खुली किताब" (चर्चा अंक-2669)

मित्रों!
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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उत्तराखण्ड की संस्कृति की धरोहर 
“हरेला” 
उत्तराखण्ड का प्रमुख त्यौहार है!
हरेला पर्व वैसे तो वर्ष में तीन बार आता है- 
1- चैत्र मास में!
(प्रथम दिन बोया जाता है तथा नवमी को काटा जाता है!)
2- श्रावण मास में
(सावन लगने से नौ दिन पहले आषाढ़ में बोया जाता है और दस दिन बाद श्रावण के प्रथम दिन काटा जाता है!)
3- आश्विन मास में!
(आश्विम मास में नवरात्र के पहले दिन बोया जाता है और दशहरा के दिन काटा जाता है!)   
किन्तु उत्तराखण्ड में श्रावण मास में पड़ने वाले हरेला को ही अधिक महत्व दिया जाता है! क्योंकि श्रावण मास शंकर भगवान जी को विशेष प्रिय है। यह तो सर्वविदित ही है कि उत्तराखण्ड एक पहाड़ी प्रदेश है और पहाड़ों पर ही भगवान शंकर का वास माना जाता है। इसलिए भी उत्तराखण्ड में श्रावण मास में पड़ने वाले हरेला का अधिक महत्व है!  
सावन लगने से नौ दिन पहले आषाढ़ में हरेला बोने के लिए किसी थालीनुमा पात्र या टोकरी का चयन किया जाता है। इसमें मिट्टी डालकर गेहूँ, जौ, धान, गहत, भट्ट, उड़द, सरसों आदि 5 या 7 प्रकार के बीजों  को बो दिया जाता है। नौ दिनों तक इस पात्र में रोज सुबह को पानी छिड़कते रहते हैं। दसवें दिन इसे काटा जाता है। 
4 से 6 इंच लम्बे इन पौधों को ही हरेला कहा जाता है।
घर के सदस्य इन्हें बहुत आदर के साथ अपने शीश पर रखते हैं।
घर में सुख-समृद्धि के प्रतीक के रूप में हरेला बोया व काटा जाता है!
इसके मूल में यह मान्यता निहित है कि हरेला जितना बड़ा होगा उतनी ही फसल बढ़िया होगी! साथ ही प्रभू से  फसल अच्छी होने की कामना भी की जाती है! 

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छिद्दन बाबू कहत रह चिंता में सरकार 

बताते हैं छिद्दन बाबू का नाम चिन्तन के अपभ्रंश से बना. बचपन में उनका नामकरण चिन्तन हुआ था. जथा नाम तथा काम की तर्ज पर बचपन से हर विषय पर इतना अधिक चिन्तित हो लेते कि पूरा परिवार परेशान हो उठता. ऐसे में ही एक बार बारिश को देखकर ऐसा चिन्तित हुए कि कहने लगे कि जाने कौन को ऐसी गजब गुंडई छूटी है कि पूरा आसमान छेद डाला. बचपने के इस चिन्तन की चर्चा पूरे गांव में माखौल का विषय बनी और चिन्तन बाबू को लोग छिद्दन बाबू पुकारने लगे, मगर उनकी हर विषय पर चिन्तित रहने की आदत न गई. इसी चिन्ता चिन्ता में पढ़ लिख तो अधिक न पाये मगर दखल हर विषय में देने लगे... 
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कुछ लोग -39 

बने रहो पगला काम करेगा अगला की तर्ज़ पर 
'बैल बुद्दि' वाले कुछ लोग अपने प्रतिउत्तरों से 
निरुत्तर करने की बजाय खेल जाते हैं उल्टे दांव... 
जो मेरा मन कहे पर Yashwant Yash 
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सबद - भेद :  

इक शम्अ है दलील-ए-सहर :  

अच्युतानंद मिश्र  

समालोचन पर arun dev 
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महफूज़ के बुलावे पर जुटे ब्लॉगर्स 

लेकिन मीट नाम से बिदके... 

देशनामा पर Khushdeep Sehgal 
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सावन का महीना ! ...... 

प्रीती श्रीवास्तव 

मेरी धरोहर पर yashoda Agrawal 
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पवित्र गुफा में बाबा गुप्तेश्वर नाथ के दर्शन के साथ 

एक अद्भुत रोमांचक यात्रा 

(अंतिम भाग ) 

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खुली किताब और 

मेरी भावनायें...पर रश्मि प्रभा...  
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Spin-Orbitonics : 

Dr. Pramey Upadhyay 

मिसफिट Misfit पर गिरीश बिल्लोरे मुकुल 
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तुम्हारा साथ....... 

कविता मंच पर KL SWAMI  
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मुक्तक 

Ocean of Bliss पर Rekha Joshi 
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----- || दोहा-एकादश || ----- 

अबिकसित तन मति अरु मन बिनु कारज कुसलात | 
अस जनमानस संग सो देस दरिद कू पात || १... 
NEET-NEET पर Neetu Singhal 
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तेरे इश्क में गर है जुनूं, 

मेरी इल्तजा कि खुदा से कर 

Harash Mahajan 
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तिब्बत 125 वर्ष पूर्व 

rajeev Kulshrestha 
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ख़तरा 

वह जो ख़ुद से बात कर रहा है, 
इसलिए कर रहा है कि 
दूसरों से बात करने की उसको इजाज़त नहीं है. 
डरते हैं सब उससे, 
न जाने क्या बोल बैठे वह... 
कविताएँ पर Onkar 
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रिटर्न ऑफ़ इंदिरा : 

संजय गाँधी की बिटिया ? —  

प्रितपाल कौर PriyaPalSingh 

Shabdankan पर Bharat Tiwari  
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----- ॥ टिप्पणी ११ ॥ ----- 

एक डाकू भी अपने दल का नेतृत्व करता है....., 
एक महापुरुष ही सन्मार्ग प्रदर्शित करता हैं 
वह चाहे शासन में हो अथवा अनुशासन में...  
NEET-NEET पर Neetu Singhal  
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21 वीं सदी में भी 

क्या संभंव हैं ये घटनाएं, 

क्यौ और कैसे ???... 

मालीगांव पर Surendra Singh bhamboo  
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Computer Dictionary and Glossary "K" -  

कंप्यूटर शब्दावली 

Computer Shabdawali "K" (PDF) 

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चर्चित होंगे नाम कभी 

चित्र से काव्य तक
कल्पना रामानी 
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जिस देश में इन्सान- गाय, शेर-  

आलू प्याज खाता है,- 

’’ऐसा देश है मेंरा’’ 

Swatantra Vichar पर Krishna Baraskar 
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मैं लिखना चाहती हूँ 

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चीन ठहरा पक्का बणियां,  

ऊ धमकी से आगे कदी नी जायेगो 

रमई काका यों तो अब हमारे गांव के हारे हुये सरपंच ही है पर हारने मात्र से उनकी चिंतन मनन और ज्ञान की शक्ति कम नही हुई है. वो तो पिछले बार जब उनकी सरपंची थी तब उन्होंने अपने सिवा किसी दूसरे को नरेगा मनरेगा का माल जीमने नही दिया वर्ना तो कोई कारण नहीं था कि इस बार उनके साथ भूतपूर्व सरपंची का पुछल्ला लटक जाता. हुआ ये कि उनके समर्थकों ने अपनी पूरी खुंदक निकाली और ऊपर तक शिकायत करके जांच बैठवा डाली पर रमई के तार यानि कनेक्शन ऊपर तक भिडे थे सो साफ़ बरी हो गये. पर बरी होना अलग बात है और आने वाला चुनाव जीतना अलग बात है सो चुनाव में भीतरघाती समर्थकों ने वोटरों को समझा दिया था कि हल्वा पूडी तो... 
ताऊ डाट इन पर ताऊ रामपुरिया 
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एक शाम ब्लॉगिंग के नाम ..... 

vandana gupta 
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दिल तो बच्चा है जी 

झा जी कहिन पर अजय कुमार झा 
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कार्टून :-  

फूल 

9 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात
    अच्छी चर्चा
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर चर्चा. मेरी कविता शामिल करने के लिए आभार.

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह बहुत उम्दा लिंक्स, आभार
    रामराम
    #हिन्दी_ब्लॉगिंग

    जवाब देंहटाएं
  4. सुन्दर चर्चा-
    हेडर बदलिए गुरु जी

    जवाब देंहटाएं
  5. बढ़िया प्रस्तुति
    मेरी पोस्ट को आपके प्लेटफॉर्म पर शामिल करने के लिए धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं

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