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रविवार, जुलाई 30, 2017

"इंसान की सच्चाई" (चर्चा अंक 2682)

मित्रों!
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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प्रतिबद्धता के नाम पर 

साहित्यकारों को अपनी इस दोगलई से 

हर हाल बाज आना चाहिए 

‘साहित्य का उद्देश्य’ में प्रेमचंद ने लिखा था, ‘हमें सुंदरता की कसौटी बदलनी होगी।’ तो बदली स्थितियों में भी इस कसौटी को बदलने की ज़रुरत आन पड़ी है। इस लिए भी कि प्रेमचंद इस निबंध में एक और बात कहते हैं, ‘वह (साहित्य) देशभक्ति और राजनीति के पीछे चलने वाली सच्‍चाई भी नहीं है, बल्कि उसके आगे मशाल दिखाती हुई सच्‍चाई है।’ इस दोगले समय में प्रतिबद्धता के नाम पर साहित्यकार जिस तरह प्रेमचंद के इस कहे पर पेशाब करते हुए राजनीति के पीछे साहित्य की मशाल ले कर भेड़ की तरह चल पड़े हैं , वह उन्हें हास्यास्पद बना चुका है । पुरस्कार वापसी के नाम पर गिरोहबंदी कर जिस जातीय और दोगली राजनीति के पीछे साहित्यकार खड़े हुए हैं , बीते कुछ समय से साहित्यकारों को भी इस प्रवृत्ति ने दोगला बना दिया है । मुझे अपनी ही एक ग़ज़ल याद आती है :
प्रेमचंद को पढ़ कर  खोजा बहुत पर फिर वह मिसाल नहीं मिली
राजनीति के आगे चलने वाली साहित्य की वह मशाल नहीं मिली... 

सरोकारनामा पर Dayanand Pandey 
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शाम 


तिश्नगी पर आशीष नैथाऩी  
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बरखा बहार आयी 

सूरज की तपन गई बरखा बहार आयी
झुलसी-मुरझाई धरा पर हरियाली छायी... 
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देखी तेरी चतुराई 

 कल राजस्थान के जोधपुर में एक हादसा होते-होते बचा। हवाई-जहाज से पक्षी टकराया, विमान लड़खड़ाया लेकिन पायलेट ने अपनी सूझ-बूझ से स्थिति को सम्भाल लिया। यह खबर है सभी के लिये लेकिन इस खबर के अन्दर जो खबर है, वह हमारा गौरव और विश्वास बढ़ाती है। महिला पायलेट ने जैसे ही पक्षी के टकराने पर हुआ विस्फोट सुना, उसने तत्क्षण जहाज को ऊपर उड़ा दिया और इंजन बन्द करके जहाज को उतार लिया। सभी यात्री सुरक्षित उतर गये। महिला पायलेट के नाम से मन थोड़ा तो घबराता था ही... 
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सपने में मुलाक़ात 

जब कभी हम मिले, 
तुम्हारे साथ कोई था. 
मैं अब तक नहीं समझा 
कि मुझमें ऐसा क्या है, 
जो तुम्हें मुझसे 
अकेले में मिलने से रोकता है... 
कविताएँ पर Onkar 
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ग़ज़ल  

बाकी अभी है और फ़ज़ीहत कहाँ कहाँ 

लेंगे हजार बार नसीहत कहाँ कहाँ । 
बाकी अभी है और फ़जीहत कहाँ कहाँ... 
Naveen Mani Tripathi  
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आज के इंसान की सच्चाई 

... ये कहानी सिर्फ एक कहानी नहीं ये आज के इंसान की सच्चाई है। मानव से अगर मानवता चली जाए तो वो मानव नहीं रहता दानव बन जाता है…और शायद हममें से ज्यादातर लोग दानव बन चुके हैं। हम अपने लिए पैदा होते हैं….अपने लिए जीते हैं और अपने लिए ही मर जाते हैं….ये भी कोई जीना हुआ! चलिए एक बार फिर से मानव बनने का प्रयास करते हैं…चलिए अपने घरों में बेकार पड़े कपड़े ज़रूरतमंदों के देते हैं…चलिए…कुछ गरीबों को खाना खिलाते हैं….चलिए….किसी गरीब बच्चे को पढ़ाने का संकल्प लेते हैं….चलिए एक बार फिर से मानव बनते हैं। 
राज भाटिय़ा 

पंखुपड़ियाँ ... 

24 कहानियो का संग्रह 

आई ब्लॉगर का संचालन करने वाली फर्म प्राची डिजिटल पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित होने जा रही 
में आमंत्रित है मात्र 2000 से 3000 शब्दों की मौलिक  अप्रकाशित कहानी
उपरोक्त कहानी संग्रह की बिक्री लाभ (आय) का 75 प्रतिशत भाग के 24 लेखक बराबर के भागीदार रहेंगे अथवा प्रति ई-बुककी बिक्री की आय का 75 प्रतिशत भाग 24 लेखकों को देय होगा।
विस्तार से पढ़िए.... 
मेरी धरोहर पर yashoda Agrawal 
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प्रतिकार 

खेल शुरू हुआ था एक दूसरे पर गुलाब की पाँखुरियाँ फेंकने से ! खुशबूदार, रेशम सी कोमल, चिकनी, मुलायम पाँखुरियाँ ! सुखद अहसास जगातीं ! स्वयं को विशिष्ट होने का भान करातीं ! मन को आल्हाद से भरतीं फूलों की पाँखुरियाँ ! फिर जब पंखुरियाँ ख़त्म हो गयीं तो उनकी जगह फूल फेंके जाने लगे... 
Sudhinama पर sadhana vaid 
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वंदेमातरम्‌ की अनिवार्यता पर संग्राम  

प्रमोद भार्गव 

राष्‍ट्रगीत ‘वंदे मातरम्‌‘ को तमिलनाडु के विद्यालयों में अनिवार्य करने के उच्‍च न्‍यायालय के फैसले पर तमिलनाडु में भले ही कोई बवाल न मचा हो, लेकिन इसी परिप्रेक्ष्‍य में महाराष्‍ट्र में उबाल है। वंदे मातरम्‌ को लेकर मुसलिम समुदाय के एक वर्ग और राजनीतिक दलों ने विरोध जताया है। खासतौर से ऑल इंडिया मजलिसे-इत्तेहादुल मुसलमीन के विधायक वारिस पठान ने कहा है कि 
मेरे सिर पर रिवॉल्‍वर भी रख दें तो भी... 
Ravishankar Shrivastava 
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"पूज्य पिता जी आपको श्रद्धापूर्वक नमन"  

2014 में आज ही के दिन आप विदा हुए थे।
पूज्य पिता जी आपकावन्दन शत्-शत् बार।
बिना आपके हो गयाजीवन मुझ पर भार।।
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बचपन मेरा खो गयाहुआ वृद्ध मैं आज।
सोच-समझकर अब मुझे, करने हैं सब काज।।
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जब तक मेरे शीश पररहा आपका हाथ।
लेकिन अब आशीष काछूट गया है साथ।।
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प्रभु मुझको बल दीजिएउठा सकूँ मैं भार।
एक-नेक बनकर रहेमेरा ये परिवार।।

8 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात शास्त्री जी ! जीवन के विविध रंग समेटे खूबसूरत सूत्रों का संकलन आज का चर्चामंच ! मेरी प्रस्तुति 'प्रतिकार' को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद एवं आभार !

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  2. सुन्दर चर्चा. मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार.

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  3. बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति में मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत अच्छी चर्चा एक नजर यहाँ भी करे आदरणीय
    मोक्ष सन्यास योग श्री कृष्ण एक वीडीओ
    http://eksacchai.blogspot.in/2017/07/lordKrishna.html

    जवाब देंहटाएं
  5. 'क्रन्तिस्वर ' की पोस्ट को स्थान देने हेतु शास्त्री का सधन्यवाद आभार .

    जवाब देंहटाएं

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