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मंगलवार, सितंबर 12, 2017

गली गली गाओ नहीं, दिल का दर्द हुजूर :चर्चामंच 2725


144 दोहे 

रविकर 
गली गली गाओ नहीं, दिल का दर्द हुजूर | 
घर घर मरहम तो नहीं, मिलता नमक जरूर ||  
भुगतान हो गया तो निकल कर चले गए
नारे लगाने वाले अधिकतर चले गए

माँ बाप को निकाल के घरखेत बेच कर
बेटे हिसाब कर के बराबर चले गए... 
Digamber Naswa 

किताबों की दुनिया - 142 

नीरज गोस्वामी 

हम अभिशाप थे या वरदान रहे 

अनुपमा पाठक 
--

हम और तुम 

वर्षों से भटक रहे थे हम तुम 
ज़िंदगी की इन अंधी गलियों में 
कुछ खोया हुआ ढूँढने को... 
Sudhinama पर sadhana vaid  



9 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात रविकर भाई
    आभार...
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर चर्चा ... कुछ नए सूत्र ..
    आभार मेरी गजल को जगह देने के लिए ...

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति राविकर जी।

    जवाब देंहटाएं
  4. पठनीय सूत्रों की जानकारी देती सार्थक चर्चा..मुझे भी इसमें शामिल करने के लिए आभार !

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर सार्थक सूत्रों का संकलन ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद एवं आभार रविकर जी !

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुन्दर प्रस्तुति रविकर जी। आभार!

    जवाब देंहटाएं

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