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बुधवार, सितंबर 20, 2017

बहस माता-पिता गुरु से, नहीं करता कभी रविकर : चर्चामंच 2733

"कुछ कहना है"

मुक्तक- 

बहस माता-पिता गुरु से, नहीं करता कभी रविकर ।
अवज्ञा भी नहीं करता, सुने फटकार भी हँसकर।
कभी भी मूर्ख पागल से नहीं तकरार करता पर-
सुनो हक छीनने वालों, करे संघर्ष बढ़-चढ़ कर।। 

राजनीति में न तो कोई स्थायी मित्र होता है 

और न ही स्थायी दुश्मन 

haresh Kumar 

मंत्री जी! ज़बान संभाल के... 

pramod joshi 

''दीवार में आले'' का लोकार्पण वक्तव्य : 

ऋषभदेव शर्मा 

कौन से घटक (कारक )बनते हैं 

अल्जाइमर्स रोग की वजह। 

Virendra Kumar Sharma 

खोई हुई पहचान हूँ मैं... 

राजेश रेड्डी 

yashoda Agrawal 

दोहे 

"एकल कवितापाठ" 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 


5 टिप्‍पणियां:

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