मित्रों!
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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चिड़िया:
आनंद की खोज
आओ साथी मिलकर खोजें,
जीवन में आनंद को,
क्रोध, ईर्ष्या, नफरत त्यागें
पाएँ परमानंद को...
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अवंत शैशव !
यकायक ख़याल आते हैं मन में अनेक,
मोबाईल फोन से चिपका आज का तारुण्य देख,
बस,सोशल मीडिया पे बेसुद, बेखबर,
आगे, पीछे कुछ आता न उसको नजर,
उसे देख मन में आते है तुलनात्मक भाव,
कौन सही, मेरा शैशव या फिर उसका लगाव...
अंधड़ ! पर पी.सी.गोदियाल "परचेत"
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चिता की राख !
रात में अचानक जोर जोर से आवाज आने से उनकी नींद खुल गयी। अंदर से आवाजें आ रहीं थी। माँ के जेवरों के बंटवारे को लेकर बहस हो रही थी। बहुओं को ननद से शिकायत थी क्योंकि पापाजी ने मम्मीजी के भारी भारी गहने उन्हें पहले ही दे दिए थे और वह इनमें से भी चाह रही थी...
कथा-सागर पर रेखा श्रीवास्तव
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अर्ज़ किया है
ग़ज़ल
"खिलता गुलाब हो"
(राधा तिवारी)
प्रणय की तस्बीर तुम खिलता गुलाब हो
जो सबको बाँटे रौशनी वो आफताब हो...
अत्यंत की आकर्षक व उल्लेखनीय प्रस्तुति। मैं खुद को इस मंच पर पाकर गौरवांवित महसूस कर रहा हूँ। आदरणीय मयंक जी का नमन व शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
आभार शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय आज की सुन्दर चर्चा में 'उलूक' के आदमी खोदने की खबर को भी जगह देने के लिये।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद जनाब - शानदार चर्चा :)
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया । बेहतरीन रचनाओं से सजा चर्चामंच । मेरी रचना को शामिल करने हेतु सादर धन्यवाद ।
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