मित्रों!
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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डोल गया मन
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उफक पर
सर रखकर
इठलाई रवि किरण,
झील में
तैरते फाहों पर,
आई रख कर चरण,
आह, उस सौन्दर्य का
क्या करुँ वर्णन
पल भर को
मूँद गए मेरे मुग्ध नयन....
Purushottam kumar Sinha
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रास्तों को ग़र्द से
पहचान लेती मुफ़लिसी
बेबसी की ज़िन्दगी से ज्ञान लेती मुफ़लिसी
मुश्किलों से जीतने की ठान लेती मुफ़लिसी...
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सूरज का घर द्वार
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अभिनव रचना पर
Mamta Tripathi
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पाटलिपुत्र के सहित्याकाश में
जब चमकी थी 'बिजली'...
सजी थी 'आरती'...(2)
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आनन्द वर्धन ओझा
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वो बात-बात पर हँसता है
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सोशल मीडिया छोड़ो
सुख से जियो,
एक अनुभव
चौथाखंभा पर ARUN SATHI
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चाँद तुम मुस्कुराना
पृथ्वी के होने तक
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ये दिलासा...
तरुणा मिश्रा
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मेरी धरोहर पर
yashoda Agrawal
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एक स्वप्न नया...
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धरोहर पर yashoda Agrawal
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रंगे सियार
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डॉ. अपर्णा त्रिपाठी
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यहां 15-20 की.मी. का किराया
1000/- तक मांगने वाले
वाहन चालकों की कमी नहीं है !!
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कुछ अलग सा पर गगन शर्मा
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मन कुरेदते शब्दों में
जीवन का वितान
पीड़ा कविता में पैठती है,
तो- पीड़ा, पीड़ा मात्र न हो
पीड़ा से वृहद् कुछ और हो जाती है
कविता भी केवल कविता नहीं रह जाती...
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आँसुओं से लिखी ग़ज़ल...
नीतू ठाकुर
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खुद को साड़ी का
चलता फिरता शोरुम ना बनाएं
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आदरणीय मयंक जी, बिल्कुल सर्दी आ गई। आज की प्रस्तुति में मेरी दो रचनाओं को शामिल करने के लिए अनेकों धन्यवाद। महसूस हो रहा है कि आपने सर्दी में लिहाफ डाल दी है मेरे बदन पर।
जवाब देंहटाएंआज की सारी अन्य रचनाकारों को भी सर्दी का ठिठुरता हुआ नमन व बधाई।
उत्तम प्रस्तुतिकरण हेतु साधुवाद।।।।
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
वाह सर्दी पर कितनी अच्छी पोस्ट्स है सभी की सभी को सर्दीयों के सुंदर मौसम की शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुंदर, पठनीय हैं सभी रचनाएँ । बहुत रोचक प्रस्तुति।
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