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रविवार, नवंबर 12, 2017

"सच कहने में कहाँ भलाई" (चर्चा अंक 2786)

मित्रों!
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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तुम्हारा एक शब्द.. 

palash "पलाश" पर 
डॉ. अपर्णा त्रिपाठी  
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मृत्यु के से बर्फ़ीले फैलाव पर 

हृदय
चीखना चाहता है
फूट-फूट कर
रोना चाहता है 
ऐसी सहूलियतें कहाँ
जीवन की कँटीली राह में
कि रुक कर
रो लिया जा सके 
अनुशील पर अनुपमा पाठक  

5 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात
    आदरणीय मयंक झी,
    सुन्दर प्रस्तुति विविधता समेटे हुए।
    सभी रचनाएं एक से बढकर एक।
    बधाई ...

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह ! अति सुंदर ! विविधतापूर्ण रचनाओं का बेहतरीन संकलन। चर्चामंच में चयनित सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाऐं। सादर।

    जवाब देंहटाएं
  3. धन्‍यवाद शास्‍त्री जी, मेरे ब्‍लॉग को चर्चामंच पर लाने के लिए बहुत बहुत आभार

    जवाब देंहटाएं

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