समस्यायें सुनाते भक्त दुखड़ा रोज गाते हैं-
रविकर
प्रवंचक दे रहे प्रवचन सुने सब अक्ल के अंधे।
बड़े उद्योग में शामिल हुये अब धर्म के धंधे।।
अगर जीवन मरण भगवान के ही हाथ में बाबा।
सुरक्षा जेड श्रेणी की चले क्यों साथ में बाबा।
हमेशा मोह माया छोड़ना रविकर सिखाते जब
बना क्यों पुत्र को वारिस बिठाते माथ पे बाबा।।
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खिचड़ी
रविकर
अमीरी में गरीबी में बराबर ही पली खिचड़ी।
तभी तो देश को लगती हमेशा ही भली खिचड़ी।
लिया जब पूर्व से चावल, नमक घी तेल पश्चिम से।
मिलाया दाल उत्तर की, मसाला मिर्च दक्षिण से।
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शुभ प्रभात रविकर भाई
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
सार्थक और पठनीय लिंक मिले ।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीय रविकर जी।
Dhanyawad Ji
जवाब देंहटाएंक्रांतिस्वर की इस पोस्ट को यहाँ स्थान देने हेतु आदरणीय शास्त्री जी को हार्दिक धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रविकर चर्चा। आभारी है 'उलूक' के कब्ज का जिक्र करने के लिये।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति ....
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच की लाजवाब चर्चा ...
जवाब देंहटाएंआभार मुझे शामिल करने का आज की चर्चा में ...