मित्रों!
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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अकेली नींद
सपनों के आगे नींद मुक़म्मल होती नहीँ
हकीक़त से परे बारात ख़्वाबों की थमती नहीं...
RAAGDEVRAN पर MANOJ KAYAL
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अनमना मन
अंश मेरे
हर प्रखर मौसम की
निर्मम मार से
जिनको बचाया
फड़फड़ा कर पंख
उड़ कर दूर जाने को
स्वयं आतुर हुए से,..
Sudhinama पर
sadhana vaid
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स्वीकार
व्यस्तता भरे जीवन में
वह ऐसी खोई कि
खुद को ही भूल गयी,
दिन और रात में
ज़िंदगी एक ही सी हो गयी...
Akanksha पर
Asha Saxena
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स्वाभिमान
दम्भी पुत्र जिसको पिता ने
घर से निकाल दिया था,
ने छल-बल से घर में पुनः प्रवेश किया
और गर्वोक्ति से पिता से कहा,
पापा मैं आ गया हूँ, आप हार गये।
पिता ने शान्त स्वर में कहा
“ठीक है तुम रहो, मैं जा रहा हूँ"।
अगले ही पल स्वाभिमानी पिता का
निस्पंद शरीर कुर्सी पर लुढ़क गया
मन के वातायन पर
Jayanti Prasad Sharma
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बात है
समझ ,समझ से
समझ को समझो
समझ से समझना
बड़ी बात है
बुद्धि परायी
काम न आयी
स्वयं को जानो
तभी बात है...
Neeraj Tyagi
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२८६.
कविता
मैंने छोड़ दिया है
अब कविता लिखना.
कविता लिखने का सामान -
काग़ज़, कलम,दवात -
दूर कर दिया है मैंने...
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वो ह्रदय नहीं वो पत्थर है
वो ह्रदय नहीं वो पत्थर है
जिसमें बहती रसधार नहीं ,
जिस पुष्प में कोइ गंध नही
वहां भौरों की गुंजार नहीं...
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अष्टांगहृदय
अष्टांगहृदय आयुर्वेद कै एक बहुत महत्वपूर्ण ग्रंथ है। जेहमा नानाप्रकार कै रोग आउर वहके नीक हुवै ताईं औषधि कै वर्णन है। जब हम सभै आयुर्वेद के बिसय मा सुनित है तौ सबसे पहिले हमका-सबका ई ध्यान मा आवत है कि आयुर्वेद खाली रोग औ वहके चिकित्सा के बिसय मा बतावै वाला ग्रंथ है। लकिन ई बात सही नाही है। कौनौ आयुर्वेद ग्रंथ उठाय कै देखि लेव वहमां खाली रही रोग वहके निदान-उपचार कै बात ही न मिले। वहमां खानपान आउर लोक ब्यवहार कै बात भी बहुत अधिक वर्णित है। ऐसै एक ग्रंथ है अष्टांगहृदय...
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अटलांटिक के उस पार - ३
उत्तरी अमेरिका के दक्षिण-पश्चिम में स्थित टेक्सास राज्य है, और डैलस उसके मैदानी भाग में बसा हुआ एक बड़ा शहर है, जिसका केंद्र (डाउनटाउन) भी खूबसूरत गगनचुम्बी चमकीली इमारतों से भरा हुआ है. सडकों व बहुमार्गी जगहों पर ऊंचे-नीचे फ्लाईओवर्स के अनेक जाल हैं. शहर की बस्तियों में तथा सडकों के किनारों पर पेड़ों की कतारें हैं, पर यहाँ के पेड़ नाटे कद के लगते हैं. यहाँ पर अनेक विशाल सरोवर हैं, और जैसा की यहाँ का शुगल है, उन्हें चारों और से संवार कर दर्शनीय बनाया गया है...
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शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
बहुत सुन्दर संस्करण आज का शास्त्री जी ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद एवं आभार ! सभी सूत्र बेहद उम्दा !
जवाब देंहटाएंसुन्दर सूत्र सुन्दर संकलन।
जवाब देंहटाएंक्रांतिस्वर की पोस्ट को स्थान देने हेतु धन्यवाद व आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति मेरी दो दो पोस्ट को चर्चामंच पर स्थान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा. मेरी कविता शामिल करने के लिए शुक्रिया
जवाब देंहटाएंबेहद उम्दा प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंसबकी एक से एक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआदरणीय -- पहली बार चर्चा मंच पर आई | बहुत अच्छा लगा आकर | अकेलापन एक ख़ुशी है -- शायद इसलिए कि अकेलेपन में भावनाएं अधिक मुखर हो सृजन को प्रेरित करती हैं | पर हद से ज्यादा अकेलापन एक यंत्रणा है | बहुत शुभकामना सहित -----------
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