मित्रों!
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
--
--
--
--
अच्छे दिन
उस दिन देश के एक दिन पुराने प्रमुख अंग्रेज़ी अख़बार में भारतीयों द्वारा टैक्स की चोरी करने और विदेशी बैंक में भारी धनराशि जमा करने के काग़ज़ात लीक होने की ख़बर मुख पृष्ठ पर छायी हुई थी...
--
--
--
"यहाँ हमारा सिक्का खोटा"
निर्धन को खुशियाँ तब मिलतीं, जब होते दुर्लभ संयोग
हमको अपनी बासी प्यारी, उन्हें मुबारक छप्पन भोग।।
चन्द्र खिलौना लैहौं वाली, जिद कर बैठे थे कल रात
अपने छोटे हाथ देखकर, पता चली अपनी औकात।।
हमको अपनी बासी प्यारी, उन्हें मुबारक छप्पन भोग।।
चन्द्र खिलौना लैहौं वाली, जिद कर बैठे थे कल रात
अपने छोटे हाथ देखकर, पता चली अपनी औकात।।
--
--
Khari Khari
9 Nov 2017
हम यह भूल जाते है कि दुनिया मे चुप रहकर ही अधिकांश काम हुए है और चिंतन, आविष्कार या धर्म बने है,मौन रहकर ही मुखर हुआ जा सकता है , मैं और मेरे कई साथी भी बकलोल है और अब मैं बहुत कम बोलता हूँ, लोगों से मिलना लगभग बन्द कर दिया है और अपने मे ही लगा रहता हूँ ,
बकलोलों से दूरी ही ठीक है
चारो ओर शोर है झूठे, मक्कारों, फरेबियों और फर्जी लोगों का और ये सब महाबकलोल है...
ज़िन्दगीनामा पर Sandip Naik
--
--
--
--
--
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
बहुत सुंदर संकलन,आज के अंक में मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमनमोहक संकलन विविधतापूर्ण रचनाएँ, सभी सुंदर । समस्त लेखकों संपादकगण व पाठकों का अभिवादन।।।।।
जवाब देंहटाएं