फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

सोमवार, नवंबर 20, 2017

"खिजां की ये जबर्दस्ती" (चर्चा अंक 2793)

मित्रों!
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
--
--
--
--

...जिसे ...भी कहा जाता है 

अजीब सी बात है पर पता नहीं 
सुबह से दिमाग में एक शब्द घूम रहा है टट्टी 
तेरी टट्टी मेरी टट्टी से खुशबूदार कैसे... 
उलूक टाइम्स पर सुशील कुमार जोशी  
--
--
--

नहीं मुश्किल नदी के पार होना 

नहीं मुश्किल नदी के पार होना  
रहे माँझी अगर बेदार होना... 
Ocean of Bliss पर 
Rekha Joshi  
--
--

लोहे का घर-30 

बेचैन आत्मा पर देवेन्द्र पाण्डेय  
--
--
--
--
--
--
--

9 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर प्रस्तुतिकरण। सम्मान हेतु हृदयतल से आभार।

    जवाब देंहटाएं
  2. आज की सुन्दर प्रस्तुति में 'उलूक' के पन्ने को भी जगह देने के लिये आभार आदरणीय्।

    जवाब देंहटाएं
  3. क्रांतिस्वर की पोस्ट को इस अंक में शामिल करने के लिए आदरणीय शास्त्री जी को बहुत- बहुत शुक्रिया।

    जवाब देंहटाएं
  4. सुन्दर चर्चा. मेरी रचना शामिल की. आभार.

    जवाब देंहटाएं
  5. बेहतरीन लिंक्स संयोजन ....

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।