मित्रों!
तीन दिनों तक चर्चा मंच के चर्चाकार
आदरणीय रविकर के पुत्र के विवाहोत्सव में
पटियाला में प्रवास किया और बारात में
कुछ पुराने अन्तर्जाल के साथियों से भी मुलाकात हुई।
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शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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यकीन...
हाँ मुझे यक़ीन है
एक दिन बंद दरवाज़ों से निकलेगी ज़िन्दगी
सुबह की किरणों का आवाभगत करेगी
रात की चाँदनी में नहाएगी
कोई धुन गुनगुनाएगी
सारे अल्फाजों को घर में बंद करके
सपनों की अनुभूतियों से लिपटी
मुस्कुराती हुई ज़िन्दगी
बेपरवाह घुमेगी
ज़िन्दगी फिर से जीयेगी
हाँ मुझे यक़ीन है
ज़िन्दगी फिर से जीयेगी।
डॉ. जेन्नी शबनम
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कानून का राज:
राज का कानून
अपनी रिपोर्ट लिखवाने के लिए भोपाल की बालात्कार पीड़ीता को तीन थानों के चक्कर लगाने पड़े। पूरे चौबीस घण्टों के बाद उसे सफलता मिल पाई। यह, कोई अनोखी घटना नहीं। लेकिन इस मामले में यह महत्वपूर्ण है कि इस बच्ची के माता-पिता, दोनों ही पुलिसकर्मी हैं। तीनों थानों के कर्मचारी भी यह बात जानते ही होंगे। इसके बाद भी, अपने ही सहकर्मी की बेटी की रिपार्ट लिखने को कोई तैयार नहीं हुआ...
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प्लेटफॉर्म नंबर 16
यह है प्लेटफर्म नंबर 16
जहाँ से जाती हैं रेलगाडियां पूरब की तरफ पूरब
जहाँ सूरज पहले तो निकलता है
लेकिन रौशनी पहुचती है सबसे बाद में...
सरोकार पर Arun Roy
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बहुत ही सुंदर विविधतापूर्ण प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
रविकर जी को पुत्र के विवाह पर ढेरों बधाइयाँ और शुभकामनाएं। कल चर्चा नहीं दिखी कुछ खाली खाली सा लगा। अब पता चला आदरणीय लड्डू खाने गये हैं :) । बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंकल की चर्चा भी पूरी कर दी आपने
जवाब देंहटाएंरविकर जी को पुत्र के विवाह पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।