मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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शरीफ लिखने नहीं आते हैं
काम करते हैं करते चले जाते हैं
एक नंगा होता है
रोज बस लिखने चला
आ रहा होता है
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देश की बुद्धि मेधा ,अध्यात्म
और विज्ञान का केंद्र रहा है बंगाल
(अब पश्चिमी बंगाल ),
अरविन्द घोष,भक्ति-वेदांत स्वामी अभय चरण
प्रभुपाद ,जगदीशचंद्र बासु ,क्रान्ति वीर -सुभाष बोष ,
बंकिम चंद्र चटर्जी ,रविंद्र नाथ टैगोर बंगाल की
इसी धरती ने देश को सोंपे।
Virendra Kumar Sharma
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डाकिया
डाकिया अब भी आता है बस्तियों में
थैले में नीरस डाक लेकर,
पहले आता था
जज़्बातों से लबालब थैले में
आशावान सरस डाक लेकर...
कविता मंच पर
Ravindra Singh Yadav
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आज के चर्चामंच की इस प्रस्तुति में मेरी रचना को स्थान देकर सम्मनित करने हेतु आभार।
जवाब देंहटाएंमौलिक रचनाओं का उत्कृष्ठ संकलन बड़ी ही तन्मयता और लगन के साथ तैयार करने हेतु संपादक महोदय का विशेष आभार तथा समस्त सुधीजनों को बधाई।
दूर है मंजिल अभी,
पर थका कहाँ हूँ मैं अभी,
कारवाँ है साथ मेरे,
संग चलते रहेंगे हम युँ ही सदा।
सादर नमन आदरणीय मयंक जी।
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
हमेशा की तरह मनभावन चर्चा। सुन्दर सूत्रों के साथ 'उलूक' की बकबक को भी जगह देने के लिये आभार आदारणीय।
जवाब देंहटाएंसादर नमन आदरणीय मयंक जी
जवाब देंहटाएंआज के चर्चामंच की इस प्रस्तुति में मेरी रचना को स्थान देकर सम्मनित करने हेतु आभार
चर्चामंच की प्रतिबद्धता को प्रणाम है!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंसभी को बधाई रोचक प्रस्तुतियां
जवाब देंहटाएंवाह ! उत्तम ! आदरणीय शास्त्री का अंक संयोजन शानदार है। विभिन्न बिषयों पर भरपूर जानकारी और मन को आल्हादित करती चिंतनशील रचनायें। मेरी रचना "डाकिया" को स्थान मिलने पर गदगद हूँ। चर्चामंच में चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाऐं। सादर। आदरणीया साधना दीदी और समीक्षक आदरणीय शास्त्री जी आप दोनों को बधाई एवं शुभकामनाऐं।
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