सुधि पाठकों!
सोमवार की चर्चा में
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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पुस्तक मेला और साहित्यकार
एक बार बलिया के पशु मेले में गए थे, एक बार दिल्ली के पुस्तक मेले में। दोनों मेले में बहुत भीड़ आई थी। जैसे पशु मेले में लोग पशु खरीदने कम, देखने अधिक आए थे वैसे ही पुस्तक मेले में भी लोग पुस्तक खरीदने कम, देखने अधिक आए थे। दर्शकों के अलावा दोनों जगह मालिकों की भीड़ थी...
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शरद कोकास जी की लंबी कविता
"देह" और उसका सस्वर वाचन
स्वयं शरद जी द्वारा
मेरे मन की पर
अर्चना चावजी Archana Chaoji
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शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
बढ़िया लिंकों के साथ पठनीय चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार राधेगोपाल जी।
सभी की रचनाएं मनमोहक है
जवाब देंहटाएंअर्चना चावजी आँटी मुझे बहुत खुशी मिल रही है कि आज वो दिन है जब मेरी पोस्ट और मेरे पापा की पोस्ट आज एक जगह पर आई हैं सादर धन्यवाद ।
सुन्दर सूत्र संंयोजन। सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी सामयिक चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर सार्थक सूत्रों से सुसज्जित आज का चर्चामंच ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार राधा जी ! सस्नेह वन्दे !
जवाब देंहटाएंराधा जी बहुत सुन्दर प्रस्तुति, मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद
जवाब देंहटाएंशानदार चर्चा!! बधाई.
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