मित्रों!
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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पर्यावरण की नव्ज़ भी गाय से जुड़ी है।
आखिर ट्रेकटर डीज़ल से ही चलता है
बैल को डीज़ल पिलाने की जरूरत नहीं पड़ती है।
पर्यावरण का मित्र है बैल
Virendra Kumar Sharma
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बजट
सभी अपनी अपनी हैसियत के हिसाब से बजट बनाते हैं। सरकार और व्यापारी साल भर का, आम आदमी महीने भर का और गरीब आदमी का बजट रोज बनता/बिगड़ता है। सरकारें घाटे का बजट बना कर भी विकास का घोड़ा दौड़ा सकती है लेकिन आम आदमी घाटे का बजट बनाकर आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो जाता है। आम आदमी को सीख दी जाती है कि जितनी चादर हो, उतना ही पैर फैलाओ लेकिन सरकारों को अधिकार होता है कि मनमर्जी पैर फैलाओ...
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तूने जिंदा कवि को मार दिया
हाँ, कविताओं को मैं पढ़ता हूँ
और कविता भी मैं लिखता हूँ
कवि की चाह, पढें सब कविता
डरता हूँ, कविता पढे न कविता...
और कविता भी मैं लिखता हूँ
कवि की चाह, पढें सब कविता
डरता हूँ, कविता पढे न कविता...
Dr.J.P.Tiwari
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जानवर है पर दुसरी जाती के
जानवर के बच्चे को
उस जाती के दरिंदे जानवर से
लङ कर बचाया
Active Life पर
Sawai Singh Rajpurohit
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शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, शास्त्री जी आपका आभार कि मेरे ब्लॉग को चर्चामंच में स्थान दिया।
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा चर्चा प्रस्तुति, आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा प्रस्तुति. मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय शास्त्री जी
जवाब देंहटाएंBahut Sundar Chacha Manch meri post ko Shamil karne ke liye bahut bahut dhanyavad sir ji
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