मित्रों!
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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प्रकृति
समंदर की करुणा नयनों में वाष्पित
कोहरे में ठिठुरती प्रकृति के अंक में
जीवन की ऊष्मा परिलक्षित
सब खेल विधाता के
अपने आप में दक्ष प्रगट कर देते हैं
हमें हमारे ही समक्ष !!
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पारिवारिक आयोजन का
सार्वजनिकीकरण
दस दिसम्बर को छोटे बेटे *तथागत* का पाणिग्रहण संस्कार सम्पन्न हो गया। इस प्रसंग की जानकारी मैंने यथासम्भव निमन्त्रितों तक ही सीमित रखी। किन्तु अवचेतन में हुई दो-एक चूकों से कुछ मित्रों ने भाँप लिया। चित्तौड़गढ़ निवासी *मधु जैन* (रामपुरा में कॉलेज पढ़ाई के दौरान मैं जिस ‘नन्दलाल भण्डारी बोर्डिंग में रहता था, उसके तत्कालीन डीन आदरणीय चाँदमलजी भरकतिया की बिटिया)...
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सोना बंद करो
फुटपाथ पर सोनेवालों,
तुम मकानों में क्यों नहीं सोते?
मकान नहीं, तो झुग्गियों में,
वह भी नहीं, तो पेड़ों पर, पानी में,
हवा में - कहीं भी.
फुटपाथ पर सोनेवालों,
तुम सोते ही क्यों हो...
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Low oxygen levels,
coral bleaching getting worse in oceans
(HINDI )
'कोरल' एक कठोर लाल नारंगी या श्वेत पदार्थ है ,गुलाबी पीली लालगुलाबी रंगत भी होती है इसकी। यह समुन्द्र की सतह के नज़दीक और थोड़ा और नीचे भी नन्हें समुद्री जीवों की अस्थियों से बनता रहता है। इसका लोकश्रुत नाम मूंगा भी मिलता है प्रवाल भी। 'कोरल रीफ '-इसी कोरल कंकाल से एक श्रृंखला एक मेखला सी लम्बी दीर्घिकृत पंक्ति सी चट्टानी बनजाती है पादपीय भी होती है यह मेखला....
Virendra Kumar Sharma
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सुगना फाउंडेशन के पूर्व संरक्षक
ठा स्व. सुजान सिंह की प्रथम पुण्यतिथि पर
नि:शुल्क चिकित्सा शिविर का सफल आयोजन
Sawai Singh Rajpurohit
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नेता पिटने लगे हैं....!
ऐसे लोगों में लियाकत तो होती नहीं, इसलिए उन्हें सदा अपना स्थान खोने की आशंका बनी रहती है। इसी आशंका के कारण उनके दिलो - दिमाग में क्रोध और आक्रोश ऐसे पैवस्त हो जाते हैं कि उन्हें हर आदमी अपना दुश्मन और दूसरे की ज़रा सी विपरीत बात अपनी तौहीन लगने लगती है। ऐसे लोग ओछी हरकतें करने से भी बाज नहीं आते। मदांधता में इन्हें जनाक्रोश भी दिखाई नहीं देता...
कुछ अलग सा पर गगन शर्मा
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अँधेरे चारों तरफ़ /
राहत इन्दौरी
अँधेरे चारों तरफ़ सायं-सायं करने लगे
चिराग़ हाथ उठाकर दुआएँ करने लगे...
कविता मंच पर kuldeep thakur
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सुन्दर व सार्थक चर्चा, मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात....
जवाब देंहटाएंआभार.....
सादर.....
सुन्दर रविवारीय चर्चा।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा!
जवाब देंहटाएंआभार!
Sugana Foundation ki post ko Yaha Par Jagah dene ke liye Thank you so much
जवाब देंहटाएंBahut Sundar Charche Manch aaj ki sari post...
जवाब देंहटाएंजनता की है दुर्दशा, जन-जीवन बेहाल।
जवाब देंहटाएंकूड़ा-कर्कट बीनते, भारत माँ के लाल।११।
आड़ी-तिरछी हाथ में, सबके बनीं लकीर।
कोई है राजा यहाँ, कोई रंक-फकीर।१२।
बिगड़ गया है आज तो, दुनिया का परिधान।
मानवता का हो रहा, पग-पग पर अपमान।१३।
वृक्ष बचाते हैं धरा ,देते सुखद समीर।
लहराते जब पेड़ हैं, घन बरसाते नीर।१४।
बेहतरीन अभिव्यक्ति।