मित्रों!
हर्षोंल्लास के पर्व लोहड़ी की
आप सबको हार्दिक शुभकामनाएँ।
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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दोहे
"आई फिर से लोहिड़ी"
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विवेकानंद जयंती :
तुम्हारी आत्मा के अलावा
कोई और गुरु नहीं है
अब छोड़ो भी पर
Alaknanda Singh
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सर्दी ने ढाया सितम
सर्दी ने ढाया सितम
ठिठुरती काँपती ऊँगलियाँ
माने नहीं छूने को कलम
कैसे लिख दूँ अब कविता मैं
अजब सर्दी ने ढाया सितम...
अभिव्यंजना पर
Maheshwari kaneri
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जब बोला चलता हुआ वर्ष -
जब नये साल से बोला
चलता हुआ वर्ष - जाते-जाते
यह उचित लगा ओ मीत,
तुम्हें कर दूँ सतर्क -
मैं भी था अतिथि ,एक दिन
तुम सा ही आदृत,,
शिप्रा की लहरें पर प्रतिभा सक्सेना
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विवेकानंद और वेश्या..
सोशल मीडिया के युग मे
एक क्रांतिकारी विचार..
पढ़िए तो!
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दीप ले आओ
नन्हा सा दीप
मिटाए जगत का
अंधेरा घना
छाँटनी होगी
ज्ञानालोक के लिए
मन की धुंध ...
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शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
बहुत सुन्दर चर्चा ।
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंसुखद चर्चा हेतु आभार आ. शास्त्री जी .
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक्स, सुंदर चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंमकर संक्रांति एवं लोहड़ी पर्व की सभी मित्रों व पाठकों को हार्दिक शुभकामनाएं ! आज की चर्चा में बहुत सुन्दर सूत्र संजोये हैं शास्त्री जी ! मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संयोजन
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई
मुझे सम्मलित करने का आभार
आपको साधुवाद
सादर
सुंदर संकलन ! सभी प्रस्तुतियाँ एक से बढ़कर एक हैं।
जवाब देंहटाएंअच्छे सूत्र . यात्रानामा शामिल करने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद