मित्रों!
मेरा स्वास्थ्य आजकल खराब है
इसलिए अपनी सुविधानुसार ही
यदा कदा लिंक लगाऊँगा।
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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गीत
"साँसों पर विश्वास न करना"
साँसें धोखा दे जाती हैं,
साँसों पर विश्वास न करना।
सपने होते हैं हरजाई,
सपनों से कुछ आस न करना...
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ग़ज़ल
"चुपके चुपके"
याद आने लगे वो हमें चुपके चुपके
दिल को लुभाने लगे चुपके चुपके
पल-पल की खबर रखते थे जो मेरी
हमें यूं ही तडपाने लगे हैं चुपके-चुपके...
RADHA TIWARI
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इतिहास अपने आपको दोहराता है।
सिर्फ इसके पात्र बदल जाते हैं।
पहले इस देश को यवनों ने लूटा
मंदिरों और औरतों को लूट का माल समझा
फिर अंग्रेज़ों ने फूट डालो राज करो का विष बोया।
उसके बाद कांग्रेस वामपंथियों के साथ मिलकर
यही काम नियोजित तरीके से करने लगी
Virendra Kumar Sharma
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शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी मेरी रचना को चर्चा मंच में स्थान देने के लिए।
जवाब देंहटाएंईश्वर से दुआ करती हूँ कि आप जल्द ही स्वस्थ्य हो।
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा
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