सुधि पाठकों!
आप सबको बसन्तपञ्चमी की
हार्दिक शुभकामनाएँ।
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सोमवार की चर्चा में
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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गीत
"बसन्त पञ्चमी"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
आरती उतार लो,
आ गया बसन्त है!
ज़िन्दग़ी सँवार लो,
आ गया बसन्त है!
खेत लहलहा उठे,
खिल उठी वसुन्धरा,
चित्रकार ने नया,
आज रंग है भरा,
पीत वस्त्र धार लो,
आ गया बसन्त है!
ज़िन्दग़ी सँवार लो,
आ गया बसन्त है...
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कन्याओं को वहशियों से बचाओ
भ्रूण हत्या रोको एक स्लोगन बचाओ
यदि कन्या नहीं होगी तो पृथ्वी कैसे चलेगी
अर्थात पुरुष हेतु कन्या चाहिए ही...
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लोकतंत्र का बसंत
काशी में मराठी भाषा का एक कथन मुहावरे की तरह प्रयोग होता रहा है.. "काशी मधे दोन पण्डित, मी अन माझा भाऊ! अनखिन सगड़े शूंठया मांसह।" जजमान को लुभाने के लिए कोई पण्डित कहता है.. काशी में दो ही पण्डित हैं, एक हम और दूसरा हमारा भाई...
बेचैन आत्मा पर देवेन्द्र पाण्डेय
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जीवन और मृत्यु
नई जगह, नई डगर,
चारो ओर छाया है घनघोर अँधेरा,
कहीं कोई किरण नहीं,
न ही किरण की उम्मीद...
कविताएँ पर Onkar
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भाग्य का उदयमान
आप की तरह नहीं मेरी लेखनी में वो धार
पर संगत में आपकी उसको भी मिलेगा निख़ार
दम दिखलायेगी यह भी फिर अपना
जब संग इसके होगा आपका साथ...
RAAGDEVRAN पर
MANOJ KAYAL
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मैं वोही हूँ जो मैं हूँ
क्यों ढूँढते हो मुझमें
राधा सी परिपक्वता
सीता सा समर्पण
यशोधरा सा धैर्य
मीरा सी लगन
दुर्गा सा पराक्रम
शारदे सा ज्ञान
मर्दानी सी वीरता
टेरीसा सी महान
मुझे वही रहने दो ना
जो मैं हूँ...
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कहानी प्रेम की ...
म्हारा प्यार
जैसे पहाड़ों पे उतरी कुनमुनी धूप
झांकती तो थी मेरे आँगन
पर मैं समझ न सका
वो प्यार की आंख-मिचोली है
या सुलगते सूरज से पिधलती सर्दियों की धूप...
शुभ प्रभात सखी राधा जी
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
सुन्दर प्रस्तुति राधा जी।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसबको बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं
सुंदर चर्चा आज की ..
जवाब देंहटाएंआभार मेरी रचना को जगह देने का ...
सुन्दर लिंक्स. आभार.
जवाब देंहटाएंवसंत पंचमी की शुभकामनाएं इतने विलम्ब से देने के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ राधा जी ! आज सुबह से ही इन्टरनेट काम नहीं कर रहा था ! बहुत सुन्दर सूत्रों से सजी आज की चर्चा ! मेरी रचना को इसमें सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद एवं आभार !
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