मित्रों!
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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हॉस्पिटल
ये शब्द सुनते ही ज़हन में एक डर पैदा होता है,
लगता है भगवान न करे वहां कभी जाना पड़े
पर जब कलपुरजों में तकलीफ़ होती है
तो पैर खुद ब खुद वहां पहुंच जाते हैं ...
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जंगलराज:
बिहार के नालंदा में घर पर
गोलीबारी कर विधवा को भगाया। घर पर कब्जा किया।
भीख मांग भर रही पेट।
सर्द रात में सड़क पर
बीत रहा जीवन
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बसंत
ठंड की चादर ओढ़
दाहिने हाथ की अनामिका में
अदृश्य हो जाने वाले है
राजकुमार की जादुई अंगूठी पहन कर
चुपके से धरती पर आता है बसंत
तुमको भला कैसे दिखता...
बेचैन आत्मा पर देवेन्द्र पाण्डेय
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देखते हैं वक़्त का फैसला क्या होता है
जब भी तुम्हारा जिक्र होता है
लबों पे ख़ुशी खुद -ब- खुद आ जाती है
क्या है हक़ीक़त किसको मालूम
कल क्या होगा किसको खबर...
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शरद कोकास जी की लंबी कविता
और उसका सस्वर वाचन
स्वयं शरद जी द्वारा,
भाग -2
मेरे मन की पर
अर्चना चावजी Archana Chaoji
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शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
सुन्दर सूत्रों के साथ प्रस्तुत एक सुन्दर बुधवारीय अंक।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसार्थक संकलन
जवाब देंहटाएंतेरा बाबा
जवाब देंहटाएंबूढे बाबा का जब चश्मा टूटा
बोला बेटा कुछ धुंधला धुंधला है
तूं मेरा चश्मां बनवा दे,
मोबाइल में मशगूल
गर्दन मोड़े बिना में बोला
ठीक है बाबा कल बनवा दुंगा,
बेटा आज ही बनवा दे
देख सकूं हसीं दुनियां
ना रहूं कल तक शायद जिंदा,
जिद ना करो बाबा
आज थोड़ा काम है
वेसे भी बूढी आंखों से एक दिन में
अब क्या देख लोगे दुनिया,
आंखों में दो मोती चमके
लहजे में शहद मिला के
बाबा बोले बेठो बेटा
छोड़ो यह चश्मा वस्मा
बचपन का इक किस्सा सुनलो
उस दिन तेरी साईकल टूटी थी
शायद तेरी स्कूल की छुट्टी थी
तूं चीखा था चिल्लाया था
घर में तूफान मचाया था
में थका हारा काम से आया था
तूं तुतला कर बोला था
बाबा मेरी गाड़ी टूट गई
अभी दूसरी ला दो
या फिर इसको ही चला दो
मेने कहा था बेटा कल ला दुंगा
तेरी आंखों में आंसू थे
तूने जिद पकड़ ली थी
तेरी जिद के आगे में हार गया था
उसी वक्त में बाजार गया था
उस दिन जो कुछ कमाया था
उसी से तेरी साईकल ले आया था
तेरा बाबा था ना
तेरी आंखों में आंसू केसे सहता
उछल कूद को देखकर
में अपनी थकान भूल गया था
तूं जितना खुश था उस दिन
में भी उतना खुश था
आखिर "तेरा बाबा था ना"
मेरी कविता को यहाँ तक पहुँचाने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया !!
जवाब देंहटाएंबहुत आभारी हूं शास्त्री जी.
जवाब देंहटाएंसुन्दर संयोजन ..हार्दिक बधाई और आभार !
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