मित्रों!
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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मधुमास के प्रथम दिवस में......
पंकज भूषण पाठक "प्रियम"

मधुमास के प्रथम दिवस में
है प्रियम का ये अभिनन्दन प्रिये
पूर्णचन्द्र की क्षीण कला सी
अम्बर को छूती चपला सी
लहराई यूँ कनक लता सी
धरा अम्बर का है ये मिलन प्रिये।...
पूर्णचन्द्र की क्षीण कला सी
अम्बर को छूती चपला सी
लहराई यूँ कनक लता सी
धरा अम्बर का है ये मिलन प्रिये।...
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दुनियाँ पर भारी हो गया.....
सजीवन मयंक

ईमानदारी से चला दुनियाँ पर भारी हो गया।
कुछ दिनों के बाद सड़कों पर भिखारी हो गया...
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इक न इक दिन.......
निर्मल सिद्धू

इक न इक दिन जनाब बदलेंगे
जब होगा, बेहिसाब बदलेंगे...
मेरी धरोहर पर yashoda Agrawal
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शुभ प्रभात
ReplyDeleteआभार
सादर
सुप्रभात, मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति। 'उलूक' के सूत्र को स्थान देने के लिये आभार।
ReplyDeleteधन्यवाद मेरी रचना शामिल करने के लिए |
ReplyDeleteबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति ...
ReplyDeleteधन्यवाद मेरी कविता को स्थान देने के लिए ।
ReplyDeleteसबकी प्रस्तुति में बसन्त के आने का संकेत दिखाई दे रहा है । सब ही को बसंत ऋतु की शुभकामनाएं ।
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteवाह बसंत की बहुत सुंदर मनोहारी प्रस्तुति
ReplyDeleteकमाल का संयोजन
अग्रज आपको साधुवाद
सभी रचनाकारों को बधाई
मुझे सम्मलित करने का आभार
सादर
आदरणीय सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteमुझे सम्मलित करने का बहुत बहुत आभार